अखिलेश यादव से भेंट के बाद जयंत चौधरी ने कहा- हमारी बातचीत सकारात्मक रही। पिछली बार हमारी बातचीत जहां खत्म हुई थी, उससे आगे की बातें हुईं। अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी की बुधवार को हुई बहुप्रतीक्षित मुलाकात के बाद भी उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर सस्पेंस खत्म नहीं हुआ है। हालांकि जयंत चौधारी ने इस मुलाकात में हुई बातचीत को सकारात्मक बताया पर साथ ही यह भी जोड़ दिया कि सीट शेयरिंग पर कोई बातचीत नहीं हुई।
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सपा और बसपा के गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ ही रालोट को लेकर अटकलों का जो दौर शुरू हुआ था, वह अब भी थमा नहीं है। रालोद बागपत, मथुरा समेत पांच से छह सीटों की मांग कर रहा है पर इस मुद्दे पर न तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने कभी कुछ कहा और न ही अखिलेश यादव ने चुप्पी तोड़ी। अंततः गठबंधन की औपचारिक घोषणा हुई तो सपा-बसपा ने 38-38 सीटें आपस में बांटने के साथ ही रायबरेली और अमेठी सीटों पर गठबंधन का प्रत्य़ाशी न उतारने की घोषणा कर दी। यानी सपा-बसपा ने मात्र दो सीटें ही छोड़ीं जिनके बारे में ये कहा जा रहा है कि ये रालोद के लिए छोड़ी गई हैं। लेकिन, रालोद दो सीटों से संतुष्ट नहीं है। यही कारण था कि सभी की निगाहें अखिलेश और जयंत की बुधवार की भेंट पर थीं। दोनों नेताओं की भेंट हुई भी। बैठक खत्म होने के बाद जयंत ने मीडिया से कहा कि हमारी बातचीत सकारात्मक रही। पिछली बार जहां हमारी बातचीत खत्म हुई थी, उससे आगे की बातें हुईं। अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है। इसके साथ ही वह यह कहना नहीं भूले कि बात सीट की नहीं, आपसी भरोसे और विश्वास की है। कैराना उपचुनाव में हमने साथ मिलकर काम किया था, जिसे जनता ने पंसद किया। जयंत की बातों से साफ है कि बात अभी बनी नहीं है।
हालांकि एक तथ्य यह भी है कि रालोद नेताओं ने गठबंधन को लेकर उम्मीद अभी छोड़ी नहीं है। पार्टी के अध्यक्ष अजित सिंह पहले ही कह चुके हैं कि उनका दल गठबंधन करके ही चुनाव मैदान में उतरेगा। रालोद के वरिष्ठ नेता मसूद अहमद कह चुके हैं कि रालोद अभी भी गठबंधन में है। हमारे उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव से छह सीटों की मांग की थी,। अभी हम नाउम्मीद नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, कैराना फॉर्मूले के तहत एक सीट रालोद को और दी जा सकती है। कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव के समय सपा और रालोद के बीच जो तालमेल हुआ था, उसके तहत कैराना में रालोद के चुनाव चिन्ह पर सपा के प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा था। इसको ही कैराना फॉर्मूला कहा जाता है।
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