वाराणसी। (Kashi Vishwanath temple-Gyanvapi mosque case)काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में 3 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। जिला जज की अदालत में सोमवार को सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के उस सिविल रिवीजन को विश्वनाथ मंदिर की ओर से चुनौती देते हुए बहस की गई जिसमें मुस्लिम पक्षकारों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत को मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार के प्रश्न पर आदेश को चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि बीती 25 फरवरी को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट की अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था जिसमें कमेटी ने यह कहा था कि इस संबंधित अदालत को मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार ही नहीं है। इसके खिलाफ मस्जिद कमेटी ने जिला जज की अदालत में सिविल रिवीजन को 1 जुलाई को दायर किया था.
इस मामले में क्षेत्राधिकार के ही मामले के उसी आदेश को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी जिला जज की अदालत में 18 सितंबर को वाद दाखिल किया था जिस पर आज सोमवार को विश्वनाथ मंदिर पक्ष की ओर से वकीलों ने जिला जज की अदालत में आपत्ति की। बहस के दौरान बोर्ड के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए लॉकडाउन और व्यक्तिगत व्यस्तता को निगरानी याचिका दायर करने में विलंब का कारण बताया। इस पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा नजीरों का हवाला देते हुए विरोध जताया। दलील दी कि विलंब माफी का कारण अपर्याप्त है। किसी भी आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने के लिए 90 दिन की समयावधि होती है। समयावधि खत्म हो जाने के बाद कोई भी याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।
वक्फ बोर्ड चाहता है कि यह मामला वक्फ ट्रिब्यूनल लखनऊ में चलाया जाए ना कि सिविल जज सीनियर की अदालत में। आज की बहस के बाद जिला जज ने इस संबंध में अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है। अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी।