गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लेखक टॉम्स फ्रीडमैन की पुस्तक के एक लेख ‘इनफोसिस बनाम अलकायदा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि मशहूर आईटी कंपनी और आतंकी संगठन में कई समानताएं हैं। दोनों में मेधावी और समर्पित युवा काम करते हैं, दोनों के आगे बढ़ने का कालखंड एक है, दोनों की ग्लोबल नेटवर्किंग है। फर्क सिर्फ इतना है कि इनफोसिस का टैलेंट सृजन के काम में लगा है और अलकायदा का विध्वंस में।
उन्होंने सवाल किया कि दोनों जगह काम करने वाले उच्च स्थानों से पढ़कर निकले हैं, उनकी सोच में अंतर कहां से आया? जीवन मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता नहीं होगी, सिद्धांतों पर चलने वाले लोग नहीं होंगे तो तकनीक का इस्तेमाल समाज हित में नहीं हो सकता। शिक्षा केवल ज्ञान नहीं है, शिक्षा से व्यक्तित्व के समग्र विकास की अपेक्षा की जाती है।
गृहमंत्री ने कहा, डॉ. कलाम ने आम आदमी को साइंस और टेक्नोलॉजी की तरफ आकर्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। जिंदगी में तकनीक का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है। अब स्मार्ट फोन में इतने सॉफ्टवेयर आने लगे हैं जितने चंद्रमा पर भेजे गए पहले अंतरिक्ष यान में नहीं थे। अब महसूस किया जा रहा है टेक्नोलॉजी के बिना विकास और सुशासन संभव नहीं है।
केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि साढ़े तीन साल में पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए ई-गवर्नेंस को पूरी तरह लागू किया जाएगा। टेक्नोलॉजी के मामले में भारत किसी से पीछे नहीं है। मशहूर आईटी कंपनियों के साथ ही गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के हेड भारतीय मूल के हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ज्ञान, शक्ति और वैभव सबकुछ नहीं हैं। यदि ये ही सब कुछ होते तो रावण की पूजा होती। वह बहुत बड़े विद्वान थे, उनकी सोने की लंका थी, उन्होंने मौत को जीत रखा था। चरित्र ही वह फैक्टर है जिस कारण रावण के बजाय राम की पूजा होती है। उन्होंने कहा कि दीक्षांत, शिक्षा का अंत नहीं है, यह दीक्षा और संस्कार का प्रभावी माध्यम है। इसी के जरिये जीवन में संस्कारों का महत्व समझा जाता है।
गृहमंत्री ने कहा कि प्रकृति और राष्ट्र के कुछ शाश्वत नियम होते हैं। बेतहाशा विकास की होड़ में प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने है। हमारे राष्ट्र और समाज के कुछ शाश्वत नियम है, जैसे ‘यत्र पिंडे, तत्र ब्रह्मांडे’ यानी जो जड़ में है वही चेतन में है, जो बड़ों में है वही छोटों में है और जो मेरे में है वही तेरे में है।
दूसरा शाश्वत नियम है, वसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया परिवार की तरह। इसमें जाति, पंथ, धर्म के नाम पर भेदभाव की कोई जगह नहीं है।
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