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उत्तर प्रदेशः चार दिन में पीएफआई के 108 सदस्य गिरफ्तार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुई हिंसा में बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य सरकार की ओर से सोमवार को बताया गया कि दिसंबर 2019 में लखनऊ, कानपुर सनेत प्रदेश के कई शहरों में हुए दंगों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की अहम भूमिका थी। प्रदेश में पिछले चार दिनों में विशेष अभियान में पीएफआई के 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया है जिनमें पांच बेहद सक्रिय हैं। राज्य में पहले भी पीएफआई के 25 पदाधिकारी और सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इस्लामिक चरमपंथी संगठन पीएफआई प्रदेश के 13 जनपदों में सक्रिय है।

उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और एडीजी/डीजी कानून-व्यव्स्था पीवी रामाशास्त्री ने प्रेसवार्ता में बताया कि सीएए के विरोध में लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, मेरठ और मुजफ्फरनगर में हिंसा के मामले में पुलिस बेहद सक्रिय है। लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, मेरठ, गाजियाबाद और शामली में पीपीएफ के सक्रिय सदस्यों की धरपकड़ शुरू की गई। बीते चार दिन में कानपुर समेत 13 जिलों से 108 सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।

गौरतलब है कि प्रदेश में बीते 19 और 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में हुई हिंसा के मामले में यह काफी बड़ी करवाई है। इससे पहले पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत उसके 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि अभी तक पीएफआइ के 108 लोगों को पकड़ा गया है। अब इनके शीर्ष कार्यकर्ताओं पर शिकंजा कसने के लिए अन्य एजेंसियों से भी लगातार बात चल रही है। उन्होंने कहा कि पीएफआई से जुड़े लोगों में सर्वाधिक 21 को मेरठ से, 16 को बहराइच से, 14 को लखनऊ से, नौ को गाजियाबाद से, छह को मुजफ्फरनगर से, तीन को सीतापुर से जबकि गोंडा, हापुड़ औरजौनपुर से एक-एक को गिरफ्तार किया गया है। वाराणसी से 20 लोगों को पकड़ा गया है। पीएफआई कि पूरे प्रदेश में काफी सक्रियता है। सिमी पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद केरल में पीएफआई का केरल में गठन किया गया है। पीएफआई राष्ट्र विरोधी अभियान चला रहा है। जहां भी मौका मिलता है, वहां यह आम लोगों को भड़का कर हिंसा के लिए उकसाता है। पुलिस पीएफआई से जुड़े लोगों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार पीएफआई पर प्रतिबंघ लगाने से संबंधी प्रपत्र केंद्र सरकार को भेज चुकी है। झारखंड में इस पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

gajendra tripathi

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