लखनऊ। चरमपंथी इस्लामिक संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अस्तित्व में आये पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर भी शिकंजा कसना शुरू हो गया है। खासकर, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान जिस तरह हिंसा भड़की, उसके बाद से ही पीएफआई पर सवाल उठने लगे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआई से जुड़े 25 लोगों को विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पूरे प्रदेश में ऐसे लोगों की तलाश की जा रही है। पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश तमाम साक्ष्यों के साथ केंद्र सरकार को पहले ही भेज चुकी है।

आईजी, लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार ने बुधवार को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में हिंसा के बाद पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत तीन सदस्यों की लखनऊ में गिरफ्तारी किया गया था। इसके बाद से ही प्रदेश में इस संगठन का नेटवर्क खंगाला जा रहा है।

कहा जा रहा है कि सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद इससे जुड़े लोगों ने पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का गठन किया और अब प्रदेश के युवाओं को आतंकवाद की तरफ ढकेलने का काम कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि ऐसे लोग जो सिमी से जुड़े हुए थे, उन्होंने सिमी पर प्रतिबंध लगने के बाद पीएफआई का नाम का नया संगठन बनाया जो युवाओं को आतंकवाद की तरफ मोड़ रहा है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा की आंच पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर आने के बाद गृह विभाग ने इस संगठन को भी प्रतिबंधित लगाने के लिए केंद्र सरकार को रिमाइंडर भेजा है। बताया जा रहा है कि पुलिस को पीएफआई के सदस्यों की प्रदेश में सक्रियता के कई साक्ष्य मिले हैं। पहले भी आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्टर चस्पा करने जैसे मामलों में दर्ज मुकदमों का रिकॉर्ड भी खंगाला गया है। इसी आधार पर पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया था कि छह माह पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पीएफआई पर प्रतिबंध की सिफारिश की जा चुकी है। यह भी पता चला कि इसमें प्रतिबंधित किए जा चुके संगठन सिमी के भी सदस्य सक्रिय हैं, इसलिए रिमाइंडर भेजने का फैसला लिया गया है।

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