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उत्तर प्रदेशः ऊर्जा निगम पीएफ घोटाले में 7 और आरोपित गिरफ्तार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश ऊर्जा निगम के भविष्य निधि घोटाले में उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के तत्कालीन रीजनल सेल्स मैनेजर अमित प्रकाश समेत सात आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। इस घोटाले में अब तक कुल 12 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 

डीएचएफल की लखनऊ शाखा में तैनात अमित प्रकाश की आरोपित सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता और उनके बेटे अभिनव गुप्ता से सांठगाठ होने के साथ ही ब्रोकर फर्में बनवाने में भी भूमिका थी।

डीजी ईओडब्ल्यू डॉ.आरपी सिंह ने बताया कि जांच के दौरान अहम साक्ष्य जुटाने के बाद अमित प्रकाश, डीएस ट्रेडर्स व अंबा इंटरप्राइजेज के संचालक मनोज कुमार अग्रवाल, आटोवेब फर्म के संचालक विकास चावला, सोरिंजटेक सर्विसेज के संचालक संजय कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट श्याम अग्रवाल, टैक्स कंसलटेंट अरुण जैन तथा पंकज गिरि उर्फ नीशू को गिरफ्तार किया गया है। अरुण जैन और पंकज गिरि खुद के सीए होने का दावा करते थे। जांच में सामने आया कि डीएचएफएल के पूर्व कर्मचारी अमित प्रकाश के जरिए ही ब्रोकर फर्मों को कमीशन की रकम ट्रांसफर कराई जाती थी। आरोपित मनोज कुमार अग्रवाल की दो फर्मों को करीब 3.44 करोड़ रुपये कमीशन मिला था जिसमें 1.12 करोड़ रुपये पीएनबी हाउसिंग की ओर से दिए गए थे।

मनोज ने काले धन को सफेद करने के लिए अभिनव और आशीष की सांठगाठ से ब्रोकर फर्म बनाई थी। विकास चावला ने सीए श्याम अग्रवाल के साथ मिलकर ऑटोवेब नाम से ब्रोकर फर्म बनाई थी और 4.12 करोड़ रुपये कमीशन हासिल किया था। देसी शराब के कारोबारी संजय कुमार ने अपनी काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए सोरिंज टेक सर्विसेज नाम से ब्रोकर फर्म बनाई थी। उसे करीब 4.28 करोड़ रुपये कमीशन मिला था। संजय ने भी श्याम के जरिए फर्म बनाई थी जिसमें श्याम की पत्नी भी साझीदार थी। सीए ने सात ब्रोकर फर्में बनवाई थीं। फर्जी कंपनियां बनवाने में अरुण जैन की भूमिका भी रही है। एक ब्रोकर फर्म का पता तस्दीक नहीं हो सका।

जांच ममें पता चला कि पंकज गिरि ने अपनी गर्लफ्रेंड नीशू के नाम पर कई फर्जी आइडी बनवा रखी थीं और नीशू के छद्म नाम का भी इस्तेमाल करता था। जांच में ईओडब्ल्यू को उसकी दो पहचानों ने खूब छकाया। वह पंकज गिरि के नाम से गाजियाबाद में रह रहा था और उसका पासपोर्ट भी इसी नाम पर बना है। उसने मेरठ में एक सिपाही के घर किराये पर कमरा लेकर आफिस खोला था और नीशू के नाम से फर्जी कंपनी बनाई थी। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा पुलिस को भी नीशू की तलाश है।

gajendra tripathi

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