लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले सपा के भीतर मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्रीअखिलेश यादव ने आज प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की। राजभवन के सूत्रों ने बताया कि अखिलेश यादव की राज्यपाल से मुलाकात 15 मिनट चली। अखिलेश ने राज्यपाल को प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात से अवगत कराया।
मुलाकात के दौरान ना तो राज्यपाल और ना ही मुख्यमंत्री की मदद के लिए कोई सचिव या अधिकारी मौजूद था। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से राज्य के ताजा राजनीतिक हालात से अवगत कराने के लिए कहा। खबरें हैं कि राज्यपाल ने विधायकों की सूची मांगी ताकि सुनिश्चित हो सके कि विधानसभा में अखिलेश के पास अब भी बहुमत है।
बहरहाल, सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल ने ना तो कोई ऐसी सूची या ना ही कोई दस्तावेज मुख्यमंत्री से मांगा है। उन्होंने कहा कि यदि कोई बहुमत पर सवाल उठाता है तो उसी स्थिति में सूची की आवश्यकता होगी। राजभवन के अधिकारियों ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया।
अखिलेश यादव के अचानक राजभवन पहुंचने से राजनीतिक हलके में अटकलों का बाजार गर्म हो गया क्योंकि जब वह राजभवन के लिए रवाना हुए, उस समय तीन नवंबर से शुरू होने वाली प्रस्तावित ‘रथ यात्रा’ के ब्यौरे को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री सपा विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। पार्टी सूत्रों ने अटकल लगायी कि मुख्यमंत्री ने शायद राज्यपाल से मंत्रिपरिषद में रिक्त चार पदों के बारे में बात की होगी। अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव, ओम प्रकाश सिंह, नारद राय और सैयदा शादाब फातिमा को रविवार को मंत्रिपरिषद से बख्रास्त कर दिया था। इसके बाद से ही पार्टी में उठापटक तेज हो गयी थी।
इस बीच सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने आज अखिलेश के करीबी तेजनारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय को पार्टी से निष्कासित कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर पाण्डेय को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने का आग्रह किया है। पाण्डेय अखिलेश सरकार में ‘जूनियर मंत्री’ हैं। सपा में मचा घमासान फिलहाल थमता नहीं नजर आता है हालांकि शिवपाल ने आज भी दोहराया कि सपा और मुलायम परिवार में कोई विवाद नहीं है।