लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सपा शासनकाल के दौरान हुए बहुचर्चित सहकारिता विभाग भर्ती घोटाले में 7 आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर ली गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जांच में दोषी पाये गए अधिकारियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने की अनुमति दिए जाने के बाद विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने यह कार्रवाई की है। एसआइटी ने इस प्रकरण में बीते दिनों अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी और इन अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने की सिफारिश की थी।

एसआइटी की जांच में उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव और रविकांत सिंह, उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश कुमार मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव और संबंधित भर्ती कराने वाली कंप्यूटर एजेंसी एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी राम प्रवेश यादव दोषी पाये गए थे। इन सभी पर अब एफआइआर दर्ज कर ली गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड और उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों एवं कर्मियों के विरुद्ध भी धोखाधड़ी और षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य) और सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर) की वर्ष 2015-16 तथा प्रबंधक,  सहायक और कैशियर के पदों पर 2016-17 में की गई भर्तियों में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। सपा शासनकाल में वर्ष 2012 से 2017 के मध्य उप्र सहकारी भूमि विकास बैंक, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम और उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में भर्ती के 49 विज्ञापन जारी हुए थे। इनमें 40 विज्ञापनों के तहत भर्ती की प्रक्रिया पूरी की गई थी। प्रबंधक, उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, सहायक शाखा आंकिक, सहायक फील्ड आफिसर, सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर), वरिष्ठ शाखा प्रबंधक और लिपिक के 2343 पदों पर भर्ती हुई थी।

प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद इन भर्तियों में धांधली का मामला गर्मया। भर्ती में धांधली की एक के बाद एक कई शिकायतें मिलीं तो  पूरे प्रकरण की जांच एसआइटी को सौंप दी गई। इनमें 1 अप्रैल 2012 से लेकर 31 मार्च 2017 तक सहकारिता विभाग में सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के जरिये की गईं सभी भर्तियों के अलावा कोऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई नियुक्तियों की जांच भी शामिल थी।

एसआइटी ने सहायक प्रबंधक के पदों पर की गई भर्तियों की जांच पूरी कर बीते दिनों अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी।

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