लखनऊ। उदारीकरण के दौर में उत्तर प्रदेश में भले ही तमाम निजी शिक्षण संस्थान खुल गए हों पर इनमें उपलब्ध शैक्षणिक सुविधाओं और फैकल्टी पर सवाल उठते रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई निजी शिक्षण संस्थान बंद भी हुए हैं तो कई निजी आईटीआई ऐसी भी हैं जिनके पास-आउट युवाओं को नियुक्त करने से कंपनियां परहेज कर रही हैं। विवादों के इसी बवंडर के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कराने का फैसला किया है। इसके लिए हर जिले में जांच कमेटी का गठन कर बीएड व अन्य पाठ्यक्रम चलाने वाले निजी शिक्षण संस्थानों की जांच होगी और उसको अपनी रिपोर्ट 10 अप्रैल, 2021 तक शासन को सौंपनी होगी।
एक अधिकारी ने बताया कि इन जांच समितियों को शासन द्वारा तय मानकों पर जांच करनी होगी। इसमें संस्थाओं की मान्यता, पाठ्यक्रम की मान्यता, पाठ्यक्रम में मंजूर सीटों व निर्धारित शुल्क का परीक्षण करना शामिल है। जांच समिति को शिक्षकों की मानक के मुताबिक न्यूनतम आर्हता और नियुक्ति के दौरान सक्षम स्तर से अनुमोदन, संस्थानों में मानक के मुताबिक कक्षा कक्ष, मूलभूत ढांचे आदि का भी परीक्षण करना होगा।
जांच समिति यह भी देखेगी कि जो बिंदु मान्यता लेते समय कागजों में दर्शाए गए हैं, वे वहां पर मौजूद हैं या नहीं। समिति का अध्यक्ष किसी निजी संस्थान के कुलसचिव होगा जबकि निजी संस्थान से संबंधित क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी और अपर या उप जिलाधिकारी इसके सदस्य होंगे।
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