वाराणसी। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) से बर्खास्त जवान तेज बहादुर को निर्वाचन अयोग ने एक झटका दिया है। इससे यादव के वाराणसी से चुनाव लड़ने को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। बता दें कि तेज बहादुर ने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया था। इसके बाद सपा के सिम्बल पर नामांकन पत्र भरा है। तेज बहादुर ने अपने शपथ पत्र पत्र में जो सूचनाएं दी है उसे लेकर वाराणसी के जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने तेज बहादुर को नोटिस जारी किया है। तेज बहादुर ने अपने शपथ पत्रों में नौकरी से बर्खास्त किये जाने को लेकर दो अलग- अलग दावे किये थे।
वाराणसी के जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी आईएएस सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर को नोटिस जारी करते हुए 1 मई दिन में 11 बजे तक का समय दिया है। सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर से अपने दावे के समर्थन में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्णायक साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। तेज बहादुर को 1 मई यानी कल दिन में 11 बजे तक दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग से प्रमाण पत्र जारी करा के लाना होगा।
पहला दावा : हां, मुझे भ्रष्टाचार या अभक्ति के कारण बर्खास्त किया गया
दरअसल, प्रत्याशी तेज बहादुर, पुत्र शेर सिंह, निवासी राता कला, महेन्द्रगढ हरियाणा ने पहली बार 24 अप्रैल को निर्दल उम्मीदवार के तौर पर वाराणसी लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र भरा था।
इस पत्र के भाग 3 (क) के क्रमांक 6 में यह पूछा गया था कि ”क्या अभ्यर्थी को भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन पद धारण करने के दौरान भ्रष्टाचार के कारण या अभक्ति के कारण पदच्युत किया गया है ?” इसके जवाब में तेज बहादुर ने ”हां, 19 अप्रैल 2017” लिखा है।
दावा 2 : नहीं, मुझे भ्रष्टाचार या अभक्ति के कारण बर्खास्त नहीं किया गया
वहीं 26 अप्रैल 2019 को सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिये तेज बहादुर ने जब दुबारा नामांकन किया तो शपथ पत्र देते हुए इस बात का उल्लेख किया कि ”गलती से प्रथम नामांकन पत्र के भाग 3 (क) के क्रमांक 6 में उसने ”नहीं” की जगह ”हां” लिख दिया है। साथ ही तेज बहादुर ने अपने शपथ पत्र में ये भी दावा किया है कि ”उसे 19 अप्रैल 2017 को बर्खास्त किया गया किंतु भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा पदधारण के दौरान भ्रष्टाचार एवं अभक्ति के कारण पदच्युत नहीं किया गया है।”
नामांकन पत्र की जांच में खुला मामला
सोमवार 26 अप्रैल 2019 को नामांकन की आखिरी तिथि के बाद मंगलवार को जिला निर्वाचन कार्यालय में नामांकन पत्रों की जांच शुरू हुई। इस दौरान जब जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी आईएएस सुरेन्द्र सिंह की नजर तेज बहादुर द्वारा अपने दोनों नामांकनों में किये गये दो अलग-अलग दावों पर पड़ी तो उन्होंने तेज बहादुर को नोटिस जारी करते हुए नौकरी से बर्खास्तगी के वास्तविक कारणों का निर्णायक साक्ष्य मांग लिया है।
तेज बहादुर की ओर से दोनों बार नामांकन पत्र भरते हुए नौकरी से बर्खास्तगी के कारण को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किया गया है। जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 के हवाले से भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी निर्णायक साक्ष्य पत्र प्रस्तुत करने के लिये कहा है। अब 1 मई को दिन में 11 बजे तक तेज बहादुर को भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी उनकी नौकरी से बर्खास्तगी के वास्तविक कारणों को दर्शाने वाले प्रमाण पत्र को वाराणसी जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा कराना होगा। इसके बाद ही तेज बहादुर के नामांकन पत्र के बारे में आगे निर्णय लिया जाएगा।