नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की चेन ब्रेक करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से हांफ रही अर्थव्यवस्था को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को दूसरा बूस्टर दिया। केंदीय बैंक ने इसके तहत कई राहत उपायों की घोषणा की है। केंद्रीय बैंक ने एक ओर जहां ज्यादा से ज्यादा रकम अर्थव्यवस्था में लगाने के लिए रिवर्स रीपो दर घटा दी है, वहीं माइक्रोफाइनेंस कंपनियों और एनबीएफसी को आसानी से फंड उपलब्ध कराने के लिए टीएलटीआरओ 2.0 की घोषणा की है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था और लघु उद्यमियों को असानी से लोन उपलब्ध कराने के लिए भी अलग से रकम उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। इससे पहले आरबीआई ने बीते 27 मार्च को अर्थव्यवस्था के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी जिसमें 3.74 लाख करोड़ रुपये का लिक्विडिटी बूस्ट मिला था।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अचानक बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस समय हम कोरोना वायरस के खिलाफ जो लड़ाई लड रहे हैं, वैसी लड़ाई पहले कभी नहीं लड़ी गई थी। इसलिए अर्थव्यवस्था से जुड़ी उन इकाइयों के लिए आसानी से कर्ज की उपलब्धता का बंदोबस्त करना होगा जिनसे कारोबार को बल मिले। इसलिए उन्होंने टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) के तहत लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इससे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) और माइक्रो फाइनैंस इंस्टिट्यूशंस को फंड मिलेंगे। ये संस्थान वैसे वर्ग को कर्ज मुहैया कराते हैं जिनकी पहुंच आमतौर पर बैंकों तक नहीं हो पाती है।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बेसल गाइडलाइन्स के तहत एनबीएफसी को ऐसेट क्लासिफिकेशन में 90 दिन का मोरेटोरियम पीरियड मिलेगा। बैंकों को फिलहाल लाभांश वितरण करने से मुक्ति मिल गई है।
केंद्रीय बैंक ने नाबार्ड के लिए 25 हजार करोड़ रुपये, सिडबी के लिए 15 हजार करोड़ रुपये जबकि नेशनल हाउसिंग बैंक के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। नाबार्ड को मिली राशि से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस का वित्तपोषण होगा। सिडबी को मिली रकम से लघु उद्यमियों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा। नेशनल हाउसिंग बैंक के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस, नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक के लिए जिस राशि का प्रावधान किया गया है, वह उन्हें रीपो रेट मतलब 4 प्रतिशथ के वार्षिक ब्याज दर पर ही मिलेगी। इसका मतलब है कि माइक्रो फाइनेस कंपनियों ने छोटे कर्ज लेने वाले कारोबारियों, सिडबी से लोन लेने वाले लघु उद्यमियों और होम लेने वालों को कम ब्याज दर पर ऋण का रास्ता प्रशस्त हुआ है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 15 अप्रैल को रिजर्व बैंक के पास बैंकों ने 6.9 लाख करोड़ रुपये जमा कराए थे। बैंक यह रकम रिजर्व बैंक में जमा कराने के बजाय लोन लेने वालों को दें। इसलिए रिजर्व बैंक ने आज रिवर्स रीपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे चार प्रतिशत से घटा कर 3.75 प्रतिशथ कर दिया।
कोरोना संकट की वजह से राज्यों के राजस्व में कमी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने उनके वेज ऐंड मीन्स अडवांस (डब्ल्यूएमए) लिमिट को 30 प्रतिशथ से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया। मतलब राज्य अपने जरूरी काम में कटौती नहीं करें।
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