अनूठी संवाद अदायगी वाले इरफान खान के फिल्मों में बोले तमाम डायलाग सिने प्रेमियों को आज भी याद हैं। हालांकि ये डायलॉग लिखे भी बहुच अच्छे गए थे पर उनमें जान डाली इरफान खान की संवाद अदायगी ने।

नई दिल्ली। “पान सिंह तोमर”। फौजी से चंबल के बीहड़ों तक का सफर तय करने वाले एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट पान सिंह तोमर के जीवन पर बनी इस फिल्म में इरफान खान ने अभिनय की नई परिभाषा गढ़ी थी। उनकी आंखों से झलकते एक बागी के आक्रोश ने जैसे अभिनय के तय पैमानों चीऱ कर रख दिए। इसके साथ ही सपाट लहजे में ही जीवंत हो गए डायलॉग। जिसने भी यह फिल्म देखी, बागी पान सिंह के आवेग को अपने
अंदर महसूस किया। इसी फिल्म में इरफान के बोले एक डायलाग ने राजनीति की काली सच्चाई की कई परतें खोल दीं। “पान सिंह तोमर” जिसने भी देखी, इरफान का बोला यह डायलॉग आज तक नहीं भूल सका है- बीहड़ में बागी होते हैं… डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में।

अनूठी संवाद अदायगी वाले इरफान खान के फिल्मों में बोले तमाम डायलाग सिने प्रेमियों को आज भी याद हैं। हालांकि ये डायलॉग लिखे भी बहुच अच्छे गए थे पर उनमें जान डाली इरफान खान की संवाद अदायगी ने। ऐसे ही कुछ डॉयलाग को पढ़िये और महसूस कीजिये-

-ये हैडमास्टर… हैडमास्टर नहीं बिजनेसमैन हैं… और आजकल पढ़ाई पढ़ाई नहीं ये धंधा है- हिंदी मीडियम

-अबे मोहब्बत है, इसलिए जाने दिया। अगर जिद होती तो बाहों में होती- जज़्बा 

-रिश्तों में भरोसा और मोबाइल में नेटवर्क ना हो तो लोग गेम खेलने लगते हैं- जज़्बा

-जैसी दुनिया वैसे हम- जज़्बा

-चांद पर बाद में जाना जमाने वालों, पहले धरती पर रहना सीख लो- साहेब बीवी और गैंगस्टर

-हमारी गाली पर आज भी ताली पड़ती है और आज भी हमें राजा भैया बुलाया जाता है- साहेब बीवी और गैंगस्टर

-लकीरें बहुत अजीब होती हैं… अगर खाल पे खिंच जाए तो खून निकाल देती है और ज़मीन पर खिंच जाए तो सरहद बना देती है- गुंडे

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