नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) का यह फैसला लापरवाह तेल कंपनियों के लिए सबक और ग्राहकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने वाला है। शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने इस फैसले में गैस सिलेंडर विस्फोट में मारी गई महिला के परिवारीजनों को 12 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। इंडियन आयल कॉरपोरेशन लि. (आईओसीएल) और उसके डीलर को ये मुआवजा देना होगा। एनसीडीआरसी ने कहा कि यह दुर्घटना मैन्युफैक्चरिंग की खामी की वजह से हुई। इस दुर्घटना के लिए आईओसीएल और गैस एजेंसी को जिम्मेदार माना गया है। इस हादसे में नीना झांब की मौत होने का साथ ही उनकी सास कांता झांब गंभीर रूप से घायल हो गई थीं।
शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने यह भी आदेश दिया कि आईओसीएल इस खामी की जांच करे क्योंकि उपभोक्ता की ओर से कोई लापरवाही बरतने के कोई प्रमाण नहीं हैं। आयोग कहा कि मैन्युफैक्चरर होने की वजह से जिम्मेदारी आईओसीएल की बनती है कि वह जांच करे और खामी के बारे में रिपोर्ट दे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ऐसे में आईओसीएल की ओर से यह कहा जा रहा है कि मैन्युफैक्चरर खामी की कोई रिपोर्ट नहीं है जिसे नहीं माना जा सकता।
एनसीडीआरसी ने कहा कि इस मामले की आईओसीएल और डीलर आलोक गैस एजेंसी दोनों की जिम्मेदारी बनती है। रिकॉर्ड पर जो दस्तावेज हैं उनके मुताबिक सिलेंडर में विस्फोट मैन्युफैक्चरिंग में खामी की वजह से हुआ। इसकी मुख्य जिम्मेदारी आईओसीएल की है।
एनसीडीआरसी ने आईओसीएल, गैस एजेंसी और और बीमा कंपनी की अपील पर यह आदेश दिया है। इन तीनों ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता मंच के मृत महिला के परिवारीजनों को 12,21,734 रुपये ब्याज के साथ देने के आदेश को चुनौती दी थी। एनसीडीआरसी ने अपील को खारिज करते हुए आईओसीएल पर 25,000 रुपये की लागत भी लगाई है।
यह घटना 3 अप्रैल 2003 को हुई जब नीना झांब रसाई में खाना बना रही थीं और इस दौरान सिलेंडर फटने से उनकी मौत हो गई। इस दुर्घटना में नीना की सास कांता घायल हो गईं थीं।