नई दिल्ली। ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के किराये को लेकर “तुच्छ राजनीति” में संलिप्त होने से बचने की अपील करते हुए कहा कि स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ लगने को रोकने के लिए रेलवे टिकट के पैसे ले रही है।
रेलवे के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन एआईआरएफ ने गुरुवार को सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान यात्रा करना खतरनाक है लेकिन रेल कर्मचारी अपनी कड़ी मेहनत से इसे संभव बना रहे हैं। फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कांग्रेस नेका को लिखे पत्र में कहा, “मैं 115 स्पेशल ट्रेनों से घर लौटने में प्रवासियों की मदद करने वाली एक अच्छी प्रणाली को तुच्छ राजनीतिक फायदों के लिये खराब नहीं करने का अनुरोध करता हूं।” मिश्रा ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़ जमा होने सपर कोरोना वायरस का संक्रमण फैल सकता है।
रेलवे ने देश के कई हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घरों की ओर ले जाने के लिए एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की शुरुआत की। इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार पर ट्रेन यात्रा के लिए मजदूरों से पैसे वसूलने का आरोप लगाया।
हालांकि, सरकार की तरफ से बताया गया कि 85 प्रतिशत किराया रेलवे की तरफ से वहन किया जा रहा है और शेष 15 प्रतिशत राज्य सरकार की तरफ से वहन किया जा रहा है, जिसके अनुरोध पर एक ट्रेन चलाई जा रही है।
अब तक 163 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन
भारतीय रेलवे ने गुरुवार को कहा कि उसने 1 मई से अब तक 163 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। दावा किया गया है कि इस दौरान लॉकडाउन में फंसे 1.60 लाख प्रवासी मजदूरों ने इन ट्रेनों में यात्रा की है। रेलवे ने बताया कि उसने बुधवार को 56 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं जबकि गुरुवार को 14 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं गईं। कुल मिलाकर अब तक 163 तक ट्रेनें प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई हैं।
विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर प्रवासी कामगारों की इन यात्राओं के लिये टिकट के पैसे वसूलने का आरोप लगाया है। हालांकि, सरकार ने कहा है कि किराये का 85 प्रतिशत हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है जबकि शेष 15 प्रतिशत रकम राज्य सरकारें दे रही है, जिनके अनुरोध पर उनके राज्य के लिये स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है।