नई दिल्ली। (Confederation of Indian Industry (CII) Annual Meeting)कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने की सरकार की कोशिशों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की सालाना बैठक को संबोधित किया। उद्योग जगत को मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटकर हम निश्चित तौर पर अपनी ग्रोथ को हासिल करेंगे और यह मुमकिन है। उन्होंने कहा, “हां, हां, हां हम अपना विकास फिर से हासिल करेंगे (Yes, Yes, Yes we will get our growth back)।”
सीआईआई के 125 साल पूरा होने के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने “गेटिंग ग्रोथ बैक” पर अपनी राय रखी। पीएम ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपना ग्रोथ हासिल करेंगे। मेरे इस विश्वास के पीछे कई कारण हैं। मुझे भारतीयों की क्षमता और आपदा प्रबंधन पर भरोसा है। यहां की प्रतिभा, तकनीक और खोज पर भरोसा है। SME और एंटरप्रेन्योर पर भरोसा है। उद्योग जगत और इनके लीडर्स पर भरोसा है।” मोदी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और उसे रफ्तार देनी जरूरी है। इसके लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है
प्रधानमंत्री के संबोधन की खास बातें
-हमारी सरकार प्राइवेट सेक्टर को देश की विकास यात्रा का साझेदारी मानती है। आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़ी आपकी हर आवश्यकता का ध्यान रखा जाएगा। आपसे, सभी स्टेकहोल्डर्स से मैं लगातार संवाद करता हूं और ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा
-ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और किसानों के साथ साझेदारी का रास्ता खुलने का भी पूरा लाभ उठाएं।
-अब तो गांव के पास ही लोकल एग्रो प्रोडक्ट्स के क्लस्टर्स के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। इसमें CII के तमाम मेंबर्स के लिए बहुत अवसर है।
-देश आज मैट्रो के कोच निर्यात कर रहा है। देश ने वंदे भारत जैसी ट्रेन बनाई है। पिछले तीन महीने में ही पीपीई की करोड़ों की इंडस्ट्री भारतीय उद्यमियों ने ही खड़ी की है।
-मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि सिर्फ 3 महीने के भीतर ही PPE की सैकड़ों करोड़ की इंडस्ट्री आपने ही खड़ी की है
-देश में मेक इन इंडिया को रोजगार का बड़ा माध्यम बनाने के लिए कई प्राथमिक सेक्टर्स की पहचान की गई है। तीन सेक्टर पर काम शुरू भी हो चुका है।
-जरूरत है कि देश में ऐसे उत्पाद बनें जो मेड इन इंडिया हो और मेड फॉर द वर्ल्ड हो
-हमें अब एक ऐसी मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में निवेश करना है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी को मजबूत करे।
-इस अभियान में CII जैसी दिग्गज संस्था को भी कोरोना महामारी के बाद नई भूमिका में आगे आना होगा
-भारतीय इंडस्ट्री के पास एक साफ रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत का रास्ता। आत्मनिर्भर भारत विश्व अर्थव्यवस्था के साथ पूरी तरह इंटीग्रेटेड और सपोर्टिव भी होगा। हमें एक ऐसी लोकल सप्लाई चेन का निर्माण करना है जो ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भागीदारी अदा करे। ‘
-विश्व एक विश्वसनीय, भागीदार की तलाश में है, भारत में क्षमता है, ताकत है।
-आज पूरे विश्व में भारत के प्रति जो विश्वास बहाल हुआ है, उसका आप सभी को, भारत की उद्योग को पूरा फायदा उठाना चाहिए
-आत्मनिर्भर भारत का मतलब है कि हम और ज्यादा मजबूत होकर दुनिया को दिखाना है।
-भारत ने कोरोना संकट के समय में 150 से अधिक देशों को दवाइयां भेजकर मानवता की भलाई का काम किया है। आज विश्व में भारत के प्रति जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका फायदा उद्योग जगत को उठाना चाहिए।
-हमारे श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए श्रम सुधार भी किए जा रहे हैं।
-जिन गैर-रणनीतिक क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को इजाजत ही नहीं थी, उन्हें भी खोला गया है।
-सरकार जिस दिशा में बढ़ रही है, उससे हमारा खनन क्षेत्र हो, ऊर्जा क्षेत्र हो, या रिसर्च और तकनीक हो, हर क्षेत्र में इंडस्ट्री को भी अवसर मिलेंगे, और युवा के लिए भी नई अवसर खुलेंगे।
-सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (MSME) क्षेत्र की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग लंबे समय से उद्योग जगत कर रहा था, वह पूरी हो चुकी है।
-इससे MSMEs बिना किसी चिंता के बढ़ कर पाएंगे और उनको MSMEs का स्टेट्स बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों पर चलने की ज़रूरत नहीं रहेगी।
-देश के रणनीतिक क्षेत्र में भी प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी एक रियलिटी बन रही है। स्पेस, परमाणु ऊर्जा जैसे सेक्टर में भी हर अवसर उद्यमियों का इंतजार कर रहा है। एमएसएमई की परिभाषा को बदलने की मांग काफी लंबे समय से हो रही थी। हमारी सरकार ने यह काम किया है।
-श्रमिकों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए लेबर रिफॉर्म्स भी किये जा रहे हैं। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के रास्ते पर चलते हुए हम वे फैसले भी ले रहे हैं जिनकी मांग वर्षों से हो रही थी।
-जिसके पास कोयले का इतना बड़ा भंडार हो, फिर भी उस देश में बाहर से कोयला आए, यह सोचने वाली बात है। कभी सरकार रुकावट बनी रही और कभी नीतियां। सरकार ने कोल सेक्टर को इन बंधनों से मुक्त करने का काम किया है।
-कृषि में आजादी के बाद जो नियम कायदे बनें, उनमें किसानों को बिचौलियों के हाथों में छोड़ दिया गया था। किसानों के साथ दशकों से हो रहे अन्याय से मुक्त करने के लिए सरकार ने प्रयास किया है।
-किसान अब अपनी फसल अपनी शर्तों पर बेच सकता है। वह किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसल को बेच सकता है।