लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधानसभा में बजट पर चर्चा (Discussion on budget) के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा। कहा, “जिन लोगों ने अयोध्या में रामभक्तों पर गोली चलाकर रामनगरी की मान्यता को दूषित करने का प्रयास किया था, वे आज नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा के उपद्रवियों पर होने वाली कार्रवाई पर हमसे जवाब मांग रहे हैं।” योगी ने फिर एक बार सदन में दोहराया, “रामराज कोई धार्मिक कार्य नहीं है। इसकी परिभाषा स्पष्ट है। लेकिन लोकतंत्र की आड़ में अगर कोई आतंक मचाएगा तो वह जिस भाषा में समझेगा, उसे उसकी भाषा में समझाएंगे।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सीएए के विरोध में हुई हिंसा में देशविरोधियों के षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है। हिंसा फैलाने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के लोग हैं। पीएफआई सिमी (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का नया वर्जन है। उन्होंने कहा कि 19 व 20 दिसंबर को लखनऊ में हुई हिंसा में पुलिस की गोली से एक भी उपद्रवी की मौत नहीं हुई। उपद्रवियों की मौत उपद्रवियों की गोली से ही हुई।
योगी ने कहा, “विधानसभा में राज्यपाल के भाषण से सत्र के शुभारंभ की परंपरा रही है। लोकतंत्र में हर एक को बोलने व विरोध करने का अधिकार व आजादी है। संविधान के दायरे में रहकर ही यह किया जा सकता है। लेकिन, जिन लोगों ने संविधान को तार-तार किया, वे आज संविधान की दुहाई देते हैं। जिन लोगों ने महिलाओं की इज्जत को तार-तार किया वे महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “रामराज् कोई धार्मिक कार्य नहीं है। सिर पर टोपी पहनने से धर्म नहीं हो जाता। जो लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को आघात पहुंचाना चाहते हैं उन्हें विपक्षियों की सहानुभूति मिलती है। अगर उनकी सहानुभूति गरीब किसानों की तरफ होती तो हमें खुशी होती लेकिन उन लोगों के प्रति उनकी कोई सहानुभूति नहीं है। रामभक्तों पर गोली चलवाई थी और आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेते हैं, वे लोग कौन हैं? ऐसे लोग समझ हीं नही सकते कि रामराज् क्या होता है? वो चेहरे कौन थे जो अयोध्या, वाराणसी और गोरखपुर समेत कई जगह होने वाले धमाकों के आरोपितों की मदद कर रहे थे।”
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “2 अक्टूबर को जब सदन में 36 घंटे तक चर्चा हुई तब विपक्ष के नेता यहां से चले गए थे। किसी भी ठोस मुद्दे पर विपक्ष सार्थक चर्चा करने को तैयार नहीं है। छात्रवृत्ति की बात करते हैं तो हमने इस वर्ष 26 जनवरी को 56 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति दी। इनमें से 28 लाख बच्चे पिछड़ी जाति के हैं। जब सपा और बसपा की आंतरिक लड़ाई चल रही थी, जब सपा की सरकार आती तो अनुसूचित जाति के बच्चे छूट जाते हैं और जब बसपा की सरकार आती तो पिछड़ी जाति के बच्चे छूट जाते हैं। लेकिन, मेरी सरकार किसी भी प्रदेश के किसी भी जाति के लोग के साथ अन्याय नहीं होने देगी।”