नई दिल्ली। सरकार ने ड्रोन के लिए बनाए गए नियमों को काफी आसान कर दिया है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि ड्रोन उड़ाने से जुड़े नियम उदार और आसान नियम कर दिए हैं। इसके अनुसार गैर वाणिज्यिक (Non commercial) इस्तेमाल वाले नैनो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन उड़ाने के लिए पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। 250 ग्राम तक वजन के ड्रोन नैनो होते हैं जबकि इससे ज्याद वजन के (2 किलो तक) ड्रोन को माइक्रो ड्रोन की श्रेणी में रखा गया है। लाइसेंस फीस में भी भारी कटौती की गई है। सीधे शब्दों में कहें तो भारत में ड्रोन उड़ाना अब आसान हो गया है। इसके लिए न केवल पहले की अपेक्षा कम पार्म भरने होंगे बल्कि फीस भी कम हो गई है।
सरकार के अनुसार यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पहुंच आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस नियमावली को गुरुवार को नोटिफाई कर दिया गया। इसके अनुसार अब सभी तरह के ड्रोन का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर होगा। ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन का प्रोसेस आसान हो गया है। पहले ड्रोन के लिए कई तरह के अप्रूवल लेने पड़ते थे, वे अब जरूरी नहीं होंगे। जैसे कि- यूनीक ऑथराइजेशन नंबर, मेंटेनेंस सर्टिफिकेट, ऑपरेटर परमिट, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, उसके कंपोनेंट के इंपोर्ट की इजाजत।
ड्रोन के रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस लेने के लिए सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। रिमोट पायलट लाइसेंस 10 साल तक मान्य रहेगा और इसका शुल्क 3000 रुपये के बजाय 100 रुपये होगा। जरूरी फॉर्म्स की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई है। 72 तरह की फीस अब सिर्फ 4 तक सिमट गई है। फीस मामूली होगी और वह ड्रोन के साइज से जुड़ी नहीं होगी।
डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर ग्रीन, येलो और रेड जोन का इंटरैक्टिव एयरस्पेस मैप होगा। येलो जोन यानी एयरपोर्ट के करीब 12 किलोमीटर के दायरे के बाहर ड्रोन उड़ाया जा सकेगा। पहले यह दायरा 45 किलोमीटर था।
ग्रीन जोन और एयरपोर्ट से 8-12 के दायरे में 200 फुट ऊपर तक ड्रोन उड़ाने के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं होगी। ड्रोन रूल्स टूटने पर अधिकतम जुर्माना एक लाख रुपये तक होगा, लेकिन अन्य नियम अपनी जगह होंगे।
ड्रोन रूल्स में वेट लिमिट को 300 किलो से बढ़ाकर 500 किलो कर दिया गया है। इससे हेवी पेलोड उठाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सी भी इसके दायरे में आ जाएंगी। कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर बनाया जाएगा।
ड्रोन से जुड़े प्रशिक्षण देने और परीक्षा लेने का काम ऑथराइज्ड ड्रोन स्कूल करेंगे। प्रशिक्षण किस तरह का होगा, यह डीजीसीए (DGCA) बताएगा। वह ड्रोन स्कूलों की निगरानी और पायलट लाइसेंस ऑनलाइन देने का काम करेगा।
सरकार ने कहा है कि इनोवेशन, आईटी, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पारंपरिक कौशल और घरेलू बाजार में भारी मांग के चलते वर्ष 2030 तक भारत ग्लोबल ड्रोन हब बन सकता है। उसके मुताबिक, आज जिस ड्रोन रूल्स 2021 की अधिसूचना जारी की गई है, वह मार्च में जारी यूएएस (UAS) रूल्स 2021 से उदार है। यूएएस रूल्स 2021 को शिक्षा जगत, स्टार्टअप, एंड यूजर्स ने ड्रोन के इस्तेमाल में रुकावट पैदा करने वाला करार दिया गया था।
सरकार का कहना है कि ड्रोन से कृषि, खनन, इंफ्रास्ट्रक्चर, सर्विलांस, आपात सहायता, परिवहन, जियोस्पैटियल मैपिंग, रक्षा और कानून व्यवस्था- अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में बहुत फायदा मिल सकता है। ये खासतौर पर दूर दराज के इलाकों तक पहुंच, कई तरह के काम करने की क्षमता और इस्तेमाल में आसान होने की वजह से अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार पैदा करने में अहम योगदान दे सकते हैं।
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