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संतोष गंगवार ज़मीन से जुड़े नेता, काफ़िला देख कर लगा टाइगर अभी जिन्दा है

Bareillylive : झारखंड राज्य का राज्यपाल बनकर बरेली आने पर संतोष कुमार गंगवार के काफिले को देखकर उनके कथित विरोधी भी इस अंदाज को देखकर दंग रह गए। रविवार को उनके स्वागत में व्यापार मंडल, चेंबर ऑफ कॉमर्स, उद्योग जगत से लेकर प्रबुद्ध जन सम्मेलन में उमड़ी अपार भीड़ में उनकी पुत्री श्रीमती श्रुति गंगवार उर्फ बुलबुल भी हर कदम पर साथ रहीं। राज्यपाल बने संतोष कुमार गंगवार के लिए शहर में हुए आधा दर्जन कार्यक्रम में उन्होंने जता दिया कि टाइगर अभी भी जिंदा है, साथ ही बरेली की राजनीति में अपनी पुत्री को भी आगे बढ़ा दिया। जो जल्द ही अर्बन कोआपरेटिव बैंक में भी चेयरपर्सन के रूप में नजर आ सकती हैं।

स्मरण रहे लोकसभा चुनाव में पार्टी का टिकट नहीं मिलने और उसके बाद पत्नी श्रीमती सौभाग्य गंगवार के अचानक निधन के दोहरे संकट के बाद भी उन्होंने संयम कायम रखा। उनके कुछ कथित करीबी भी मान रहे थे कि अब वह निपट गए हैं। पर सभी पर वह पैनी नजर रख रहे थे। लोकसभा चुनाव के बाद भी भारत सेवा ट्रस्ट पर लोगो की आवाजाही बरकरार थी। पर कुछ चेहरे नजर नहीं आ रहे थे। झारखंड प्रदेश में नवनियुक्त राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद पहली बार बरेली आए महामहिम संतोष कुमार गंगवार ने अपने कार्यक्रम में पत्रकारों से कहा कि झारखंड बाबा बैद्यनाथ का प्रसिद्ध धाम है और वह नाथ नगरी से झारखंड गए हैं। नाथ नगरी के लोग झारखंड में बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए बता कर आएं तो वह सभी से वहां भी बरेली के लोगो का स्वागत कराएंगे। बरेली में आठ बार सांसद रहते जो प्यार उन्हें मिला है उसका वह दिल से आभार प्रकट करते हैं।

स्मरण रहे आठ बार के बरेली से सांसद एवम पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे संतोष गंगवार तेहरवीं लोकसभा के दौरान भारतीय जनता पार्टी की सरकार में रहते हुए पेट्रोलियम राज्य मंत्री बनाए गए थे। उनके कार्यकाल में कई ऐसी महत्वपूर्ण योजनाओं का विस्तार हुआ जिससे देश की अर्थव्यवस्था उन्नति की दिशा में आगे बढ़ी। अपने उस कार्यकाल में जब उन्होंने झारखंड का दौरा किया था और वहां की बहुमूल्य खनिजो का उपयोग कैसे भारत की उन्नति में किया जाए इसको लेकर कई योजनाएं भी बनाई थी। अब जब संतोष कुमार गंगवार झारखंड के राज्यपाल बन गए हैं तो उनका कहना है कि झारखंड को किस तरह से और ऊंचाइयों पर ले जाया जाए इसको लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी। साथ ही साथ झारखंड में कई संस्कृति एक साथ विराजमान है। उस संस्कृति को किस तरह से विश्वपटल पर ले जाए इसको लेकर भी कार्य किया जाएगा। झारखंड राज्य में कुछ समय मे चुनाव भी होने है ऐसे में झारखंड के विकास और समृद्धि को नई दिशा मिले इस पर काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वह संवैधानिक पद पर हैं और बीजेपी के सभी पदों को त्याग दिया है। पर लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पीलीभीत की जनसभा, बरेली के रोड शो में अपने साथ ही वाहन पर स्थान दिया था। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बरेली की हार्टमैन के पास की चुनावी रैली में कहा था कि गंगवार जी के लिए पार्टी ने चुनाव बाद कोई अहम जिम्मेदारी देने के बारे में सोच रखा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी बरेली कॉलेज की चुनावी प्रबुद्ध सम्मेलन में अपने पास ही स्थान दिया था। चुनाव में उनके बारे में कई अफवाह भी उड़ाई गई कि वह चल नही सकते। दिखाई भी कम देता है। पर बीजेपी के सांसद प्रत्याशी छत्रपाल के किला से निकले रोड शो में संतोष गंगवार ने पैदल चलकर लोगो को मुंह बंद कर दिया।

सरल सहज व्यक्तित्व के धनी आठ बार के बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे संतोष कुमार गंगवार को बरेली में कही भी किसी की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे शहर में घूमते देखा जा सकता था। उनके पास कभी भी भरी भरकम सिक्योरिटी भी नहीं रही। यही नहीं बरेली में आप उनसे बिना अपॉइंटमेंट लिए किसी भी समय सीधे ही मिल सकते थे। बरेली में भारत सेवा ट्रस्ट कार्यालय में हर शनिवार और रविवार को वह सुबह से ही जनता की परेशानी सुनने और अधिकारियों को फोन करके उनकी बात सुनकर समस्या निस्तारण का भी आदेश देते है। मंत्रिमंडल में नही होने के बाबजूद उनके कार्यालय पर भीड़ का आलम कम नही हुआ। पिछली लोकसभा में सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सभापति पद को संभाला। सरलता एवम सहजता उनके स्वभाव में रची वसी है।

जनसंघ से भाजपा का सफर में केंद्रीय मंत्री रहे संतोष कुमार गंगवार का जन्म 1 नवंबर 1948 को बरेली में हुआ। बीएससी, एलएलबी की बरेली में शिक्षा ली। संतोष कुमार गंगवार का राजनैतिक सफर लगभग 38 वर्ष पुराना है। 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। इसी वर्ष संतोष कुमार गंगवार को भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की कार्यकारिणी में भी शामिल किया गया। पहली बार लोकसभा में चुने जाने के बाद संतोष कुमार गंगवार को कमेटी ऑफ प्रीविलेज का सदस्य बनाया गया, साथ ही वित्त मंत्रालय व परिवहन एवं पर्यटन मंत्रालय की कास्यूलेटिव कमेटी का सदस्य भी बनाया गया।

1991 में बरेली जनता ने 10 वीं लोकसभा के लिए संतोष कुमार गंगवार को एक बार फिर लोकसभा के लिए चुन कर भेजा। पार्टी ने श्री गंगवार के अनुभव का लाभ उठाते हुए इसी संसदीय कार्यकाल के दौरान संसदीय दल का सचेतक बनाया। इसी वर्ष सांसद की ओर से दलितों- आदिवासियों के कल्याण के लिए बनी संसदीय समिति का सदस्य बनाया गया। इस समिति के सदस्य के रूप में श्री संतोष कुमार गंगवार ने देश में आदिवासियों व दलितों के कल्याण की नई योजनायें तैयार कराई। श्री गंगवार की दूरदर्शी नीतियों के कारण देश में दलित और आदिवासियों के कलयाण की नई योजनायें लागू की। श्री संतोष कुमार गंगवार को दसवीं लोकसभा में इस्टीमेट कमेटी, इश्योरेंस कमेटी, नागरिक उडयन एवं पर्यटन कमेटी की सदस्य भी मनोनीत किया गया।1996 में 11 वीं लोकसभा के लिए बरेली की जनता ने एक बार फिर अपने लोकप्रिय नेता संतोष कुमार गंगवार को सांसद के रूप में चुना। 1996 में श्री संतोष कुमार गंगवार की लोकप्रियता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने आपको प्रदेश महासचिव भी नियुक्त किया। प्रदेश महासचिव के रूप में श्री गंगवार ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने का काम किया। श्री संतोष कुमार गंगवार को 1996 में भारत सरकार की कृषि मंत्रालय की स्थाई समिति का अध्यक्ष बनाया गया। श्री गंगवार ने देश में किसानों के हित के लिए कई नीतिगत फैसले कराये।1998 में फिर लोक सभा के चुनाव आये। बरेली भी विकास के रास्ते पर बढ़ था। देश में बरेली की पहचान बन रही थी। बरेली की जनता ने अपने लोकप्रिय सांसद को फिर चौथी बार 12 वीं लोकसभा के लिए चुनकर संसद में भेजा था। लंबे संसदीय अनुभव को ध्यान में रखते हुए पैट्रोलियम राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी। इसके साथ ही संसदीय कार्य मंत्रालय का भी अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया। जल्दी ही 1999 में देश को एक बार फिर आम चुनाव का सामना करना पड़ा, लेकिन बरेली की जनता ने अपने लोकप्रिय सांसद का दामन नहीं छोड़ा। संतोष कुमार गंगवार को लगातार पांचवी बार सांसद के रूप में चना तथा 13 वीं लोकसभा में पहुंचाया। केन्द्र में माननीय अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार बनी। संतोष कुमार गंगवार को संसदीय कार्य मंत्री के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय का जिम्मा सौपा गया, लेकिन कुछ ही समय में पैट्रोलियम मंत्रालय में आपकी विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए आपको एक बार फिर केन्द्रीय पैट्रोलियम राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई। इसके बाद में श्री संतोष कुमार गंगवार को श्रम मंत्रालय तथा भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय का जिम्मा भी सौपा गया। 2004 में 14वीं लोकसभा के आम चुनाव में छटी बार सांसद बने। केंद्र में यूपीए बन की सरकार बनी। बीजेपी के सचेतक के नाते विपक्ष के सांसद के रूप में जनहित के मुद्दों को संसद में उठाया। सड़क पर आंदोलन में भी सक्रियता बनाये रखी। वर्ष 2008 2009 में लोक लेखा समिति के सदस्य भी रहे। 2009 के चुनाव में वह कांग्रेस के प्रवीण एरन से लगभग 9 हजार बोट से हार गए थे। पर बीजेपी ने संतोष गंगवार को राष्ट्रीय सचिव बनाया। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी सरकार में वस्त्र राज्य मंत्री के बाद श्रम मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। 2019 के चुनाव में पुनः आठवीं बार सांसद बने। और फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में श्रम एवम रोजगार मंत्री बने।

संतोष जी ने अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, अरब देशों के साथ ही कई अन्य देशों की भी यात्रा कीं। संतोष गंगवार जी आज भी जनता के यहां सुख दुख में शामिल होते हैं। झारखंड के राज्यपाल पद की शपथ लेकर बरेली आए संतोष कुमार गंगवार ने अगस्त 2024 में बरेलीबालो को दिखा दिया की राज्यपाल का पद कितना महत्वपूर्ण होता है। और उनके सरकारी काफिले को देख उनके शुभचिंतक भी गदगद हुए जबकि उन्हें किनारे लगाने की बात कहने वाले किसी तरह अपना सा मुंह लेकर उन्हें औपचारिकता बश ही बधाई देने रात के अंधेरे में ही आए।

साभार : निर्भय सक्सेना

Sachin Shyam Bhartiya

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