नई दिल्ली:सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अमिताभ बच्चन आज 75 वर्ष के हो गए हैं.आज महानायक अमिताभ बच्चन उस मक़ाम पर हैं जहाँ शायद ही कोई पहुंचा था और आगे भी शायद ही कोई पहुंच सके । लेकिन ऐसा कतई नहीं है की अमिताभ बच्चन यूँ ही सदी के महानायक बन गए । सदी के महानायक अमिताभ बच्चन उन कलाकारों में से हैं जो जीरो से हीरो बने हैं। शुरुवाती दौर से लेकर अब तक अमिताभ बच्चन ने कई चुनौतियों का सामना किया। हर मुश्किल को मात देकर वो आगे बढ़ते गए और बन गए सदी के महानायक।
बचपन :
अमिताभ बच्चन का जन्म-11 अक्टूबर १९४२ को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ । उनके पिता, डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन कराची के सिख परिवार से संबंध रखती थीं। हरिवंश राय बच्चन ने शुरू में अमिताभ का नाम इंकलाब रखा था लेकिन बाद में फिर से अमिताभ रखा गया ।
हालाँकि अमिताभ का अंतिम नाम श्रीवास्तव है लेकिन वह पिता के उपनाम बच्चन को ही अंतिम नाम के तौर पर इस्तेमाल करते हैं अमिताभ, हरिवंश राय बच्चन के दो बेटों में सबसे बड़े हैं। उनके दूसरे बेटे का नाम अजिताभ है। माँ तेजी बच्चन की थिएटर में रुचि रखती थी और उन्हें फिल्म लिए भी रोल की पेशकश की गई थी किंतु इन्होंने गृहणि बनना ही पसंद किया। अमिताभ के करियर के चुनाव में माँ तेजी योगदान रहा क्योंकि वो हमेशा इस बात पर जोर देती थी कि उन्हें फिल्मो में काम करना चाहिए ।
शिक्षा :
अमिताभ बच्चन ने आर्ट्स में दो बार मास्टर ग्री हासिल की इन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल में पढाई की और उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज गए । अमिताभ दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने साइंस की डिग्री हासिल की।
अमिताभ बच्चन इंजीनियर बनना चाहते थे और एयरफोर्स में जाना उनका ख्वाब था. अमिताभ बच्चन को उनकी भारी-भरकम आवाज के लिए पहचाना जाता है, लेकिन ऑल इंडिया रेडियो ने उनकी आवाज को रिजेक्ट कर दिया था. यही नहीं, उन्होंने मृणाल सेन की ‘भुवन शोम (1969)’ और सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी (1977)’ में कहानी नैरेट की थी. बॉलीवुड में स्क्रीन पर एंग्री यंगमैन को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है और दिलचस्प बात यह है कि उन्हें ‘जंजीर’ के रूप में पहली हिट मिलने से पहले 12 असफल फिल्मों का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन वे पिछले साढ़े चार दशक से फिल्म इंडस्ट्री में हैं और आज उनका बड़े परदे से लेकर छोटे परदे तक पर सिक्का चलता है.
अमिताभ की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनके डायलॉग हुआ करते थे. ये ऐसे होते थे कि तुरंत लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे. कई डायलॉग तो हमारी जीवनशैली का ही हिस्सा बन चुके हैं.
आइए नजर डालते हैं, उनके 10 सबसे लोकप्रिय डायलॉग्स परः
पूरा नाम, विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर छत्तीस साल. (अग्निपथ)
हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है. (कालिया)
आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, क्या है तुम्हारे पास? (दीवार)
आई कैन टॉक इंग्लिश, आई कैन वॉक इंग्लिश, आई कैन लॉफ इंग्लिश बिकॉज इंग्लिश इज अ वेरी फन्नी लैंग्वेज. भैरों बिकम्स बायरन बिकॉज देयर माइंड्स और वैरी नैरो. (नमकहलाल)
रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह. (शहंशाह)
मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी वर्ना न हो. (शराबी)
डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. (डॉन)
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है – कि जिंदगी तेरी जुल्फों की नर्म छांव में गुजारनी पड़ती तो शादाब हो भी सकती थी. (कभी कभी)
मैं इसको यहां नहीं मारूंगा, वर्ना लोग कहेंगे सिकंदर ने अफने इलाके में उसे मारा. (मुकद्दर का सिकंदर)
चेन कुली की मेन खुली की चेन. (सत्ते पे सत्ता)