किशोर कुमार ने 1948 में अपना पहला गाना ‘मरने की दुआ क्यों मांगूं’ फिल्म ‘जिद्द’ के लिए गाए थे। यह गाना उन्होंने देव आनंद के लिए गाना गाया था।
किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सारे सुपरहिट गानों के साथ ही सुपरहिट फिल्में दी हैं।
किशोर कुमार के बारे में एक मजेदार बात यह है कि उनकी शुरुआत की कई फिल्मों में मोहम्मद रफी ने आवाज दी थी। मोहम्मद रफी ने फिल्म ‘रागिनी’ और ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार देने पर सिर्फ एक रुपये का मेहनताना लिया था।
70-80 के दशक में जितने लोगों ने संगीतकार मोहम्मद रफी की आवाज को पसंद किया था, उतने ही लोगों नें किशोर दा की आवाज को भी पसंद किया। किशोर दा ने अपनी आवाज से लाखों दिलों को छूकर अपना बनाया था और आज भी किशोर कुमार की आवाज के लोग फैन हैं।
किशोर कुमार ने अपने फिल्मी करियर में बहुत सारे सुपरहिट गानों के साथ ही सुपरहिट फिल्में दी हैं।
किशोर कुमार के बारे में एक मजेदार बात यह है कि उनकी शुरुआत की कई फिल्मों में मोहम्मद रफी ने आवाज दी थी। मोहम्मद रफी ने फिल्म ‘रागिनी’ और ‘शरारत’ में किशोर कुमार को अपनी आवाज उधार देने पर सिर्फ एक रुपये का मेहनताना लिया था।
70-80 के दशक में जितने लोगों ने संगीतकार मोहम्मद रफी की आवाज को पसंद किया था, उतने ही लोगों नें किशोर दा की आवाज को भी पसंद किया। किशोर दा ने अपनी आवाज से लाखों दिलों को छूकर अपना बनाया था और आज भी किशोर कुमार की आवाज के लोग फैन हैं।
किशोर दा ने 1957 में बनी फिल्म ‘फंटूश’ में ‘दुखी मन मेरे’ गीत से अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। इसके बाद एसडी बर्मन ने किशोर कुमार को अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया।
किशोर दा ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गीत गाए. उनको आठ फिल्म फेयर पुरस्कार मिले. उनको पहला फिल्म फेयर पुरस्कार 1969 में फिल्म ‘अराधना’ के गीत ‘रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना’ के लिए दिया गया था।
किशोर कुमार ने 81 फिल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फिल्म ‘पड़ोसन’ में उन्होंने जिस मस्तमौला आदमी के किरदार को निभाया और वही किरदार वह जिंदगीभर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।
किशोर कुमार फिल्मी दुनिया वो गायक थे, जिनके हर गाने में जिंदगी के फलसफे थे. 1974 में आई फिल्म ‘इम्तिहान’ का यह गाना ‘रुक जाना नहीं तू कभी हार के’ और फिल्म ‘अमर प्रेम’ का यह गाना ‘कुछ तो लोग कहेंगे’ जैसे गोने आज भी जहन में गूंजते हैं।
1975 से 1977 तक 21 महिनों की इमरजेंसी के दौरान किशारे कुमार को सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव मिला। उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 20 सूत्री प्रोग्राम के लिए बनाए गए गानों को अपनी आवाज देनी थी, मगर उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया। जिसकी वजह से किशोर कुमार को ऑल इंडिया रेडियो में बैन कर दिया गया था।
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