नयी दिल्ली। हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत हंसता हुआ वो नूरानी चेहरा आज फिर जी उठा। लोगों के जेहन में बिजली सी कौंध गयी उसकी मोहक मुस्कान जो मर्लिन मुनरो को भी मात कर देती थी। जिसने देखा, बस देखता ही रह गया। जी हां, हम बात कर रहे हैं मधुबाला की। वही मधुबाला जिन पर फिल्माया गया था …जब प्यार किया तो डरना क्या…इस गीत पर बगावती अभिनय के कायल हो गये थे उनके चाहने वाले।
वो मोहक मुस्कान आप फिर देख सकते हैं, इस बार भी वह दिल्ली की सल्तनत में ही मिलेगी बस वहां मुगल-ए-आजम, जहांपनाह का महल नहीं बल्कि खूबसूरती को संजोने का हुनर समेटे मैडम तुषाद के संग्रहालय में।
यानि यूं कहें कि अब दिल्ली के मैडम तुसाद में लगने वाले मोम के पुतलों में मधुबाला का पुतला भी शामिल हो गया। ऐसा पहली बार है जब क्लासिकल दौर की किसी मशहूर अदाकारा का पुतला इस म्यूजियम में लगेगा। ये पुतला हू-ब-हू मुगल-ए-आजम में मधुबाला के किरदार ‘अनारकली’ को ध्यान में रखकर बनाया गया। गुरुवार 10 अगस्त को दिल्ली में मधुबाला के इस खूबसूरत पुतले का अनावरण उनकी बहन मधुर भूषण ने किया। वैक्स स्टैच्यू के साथ उनकी छोटी बहन मधुर भी नजर आईं। जो अपनी बहन के इस पुतले को देखकर इमोशनल हो गईं। माना जा रहा है कि इसे जल्द ही कनॉट प्लेस के मैडम तुसाद म्यूजियम में रखा जाएगा। ये म्यूजियम इस साल के अंत तक खुल सकता है।
‘मुगल-ए-आजम’ के गाने ‘मोहे पनघट पर…’ में मधुबाला को जो राजस्थानी लुक दिया गया था। इस स्टैच्यू को रेड एंड गोल्डन कॉम्बिनेशन लहंगा पहनाया गया। साथ में बड़ी सी नथ, माथे पर टीका और ट्रेडिशनल जूलरी से लुक को कंप्लीट किया गया। सबसे खास बात ये है कि मधुबाला की कभी न भुलाई जा सकने वाली खूबसूरत स्माइल भी इस स्टैच्यू में दिखी। जिससे सबकी निगाह इस पर ही ठहर गई।
मधुबाला की खूबसूरती के दीवाने न सिर्फ भारत में थे बल्कि अमेरिका की एक मैग्जीन ‘थिएटर आर्ट्स’ ने साल 1952 ने उन्हें अपने कवर पेज पर जगह दी थी।
इस मौके पर मधुबाला की बहन मधुर भूषण बताया, ये पुतला नहीं है बल्कि उनकी ‘आपा’ साक्षात रूप में उनके सामने खड़ी हैं। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है, बस अभी बोल पड़ेंगी।
बता दें कि दिल्ली की प्रसिद्ध रीगल बिल्डिंग में स्थित इस म्यूजियम में अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, आशा भोसले और श्रेया घोषाल जैसे बॉलवुड सेलेब्स का भी पुतला लगेगा। इससे पहले मधुबाला के सम्मान में भारतीय डाक ने साल 2008 में उनकी फोटो वाला एक डाक टिकट भी जारी किया था।
मधुबाला ने अपना फिल्मी सफर बसन्त (1942) में ‘बेबी मुमताज़’ के नाम से शुरू किया। देविका रानी ‘बसन्त’ में उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुईं, इसके बाद उनका नाम मुमताज़ से बदल कर ‘मधुबाला’ रख दिया। उन्हें बॉलीवुड में अभिनय के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी याद किया जाता है।
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