घोटालेबाजों ने जीएसटी में भी लगाई सेंध, जानें कितने का किया घोटाला

सेंट्रल जीएसटी की 15 टीमों ने पानीपत में छापेमारी की तो घोटाले की परत दर परत खुलती चली गई। हालांकि फर्जी बिल काटने वाला मास्टरमाइंड फरार हो गया।

पानीपत। घोटालेबाजों ने कर प्रक्रिया को सरल बनाने और चोरी रोकने के लिए लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भी नहीं छोड़ा। घोटालेबाजों ने मोदी सरकार द्वारा फूलप्रूफ होने का दावा की जा रही जीएसटी प्रक्रिया पर सेंध लगाकर करीब तीन हजार करोड़ का गोलमाल कर दिया। लेकिन, सेंट्रल जीएसटी की टीमों ने इनका भांडा फोड़ दिया। सेंट्रल जीएसटी की 15 टीमों ने यहां छापेमारी की तो घोटाले की परत दर परत खुलती चली गई। हालांकि फर्जी बिल काटने वाला मास्टरमाइंड फरार हो गया।

छापेमारी में दो फर्जी फर्मों का पता चलने के साथ ही 450 करोड़ की फर्जी बिलिंग का भंडाफोड़ हुआ। कमिश्नर राजेश आनंद के नेतृत्व में इन टीमों ने 18 परिसरों में छापामारी कर 50 फर्मों को चिह्नित किया। इनमें से 15 फर्मों ने फर्जी बिलिंग की बात स्वीकार कर ली है। अधिकारियों का कहना है कि यह फर्जीवाड़ा तीन हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस कार्रवाई से यार्न और कंबल उद्यमियों में हड़कंप मचा रहा। फर्जीवाड़ा करने वाली फर्मों ने ज्यादातर बिल यार्न और कंबल  के व्यापारियों के काटे थे।

अधिकारियों ने बताया कि फर्जीवाड़े में कई व्यापारी शामिल हैं। हरियाणा और दिल्ली सहित कई राज्यों में नेटवर्क फैला हुआ है। फर्जी बिल बनाने के मामले में मुख्य रूप से ललित ट्रेडिंग कंपनी और सिद्धि विनायक टेक्सटाइल नामक फर्म शामिल हैं। अकेले ललित ट्रेडिंग कंपनी ने 450 करोड़ रुपये के बिल सिद्धि विनायक टेक्सटाइल कंपनी के नाम से काटे हैं। सिद्धि विनायक टेक्सटाइल ने आगे बिल काट दिए। ज्यादातर बिल कंबल और यार्न व्यापारियों को काटे गए हैं। इनके ई-वे बिल भी बनाए गए। हैरत की बात यह है कि इन बिलों पर न तो माल लिया गया और न ही बेचा गया। सेंट्रल जीएसटी की टीमों ने मास्टरमाइंड के बैंक खातों को भी खंगाला गया है जहां से 12-12 लाख के चेक का भुगतान हुआ है। 

शुरुआती जांच में सामने आया है कि फर्जीवाड़े के तार उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र और गुजरात से जुड़े हैं। इन राज्यों में भी फर्जी बिल दिए गए हैं। इन राज्यों में बनाई गई कई बोगस फर्मों के कागजात भी सेंट्रल जीएसटी की टीमों ने जब्त किए हैं। फर्मों ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो कराया लेकिन कोई फर्म नहीं बनी है। जांच में खुलासा हुआ कि 450 करोड़ रुपये के बिल काटने वाली ललित ट्रेडिंग कंपनी टिफिन सप्लायर की आइडी से रजिस्ट्रर्ड है।

gajendra tripathi

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