सजा पर फैसला सुनाने के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तालियां बजीं। सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध के लिए माफी नहीं दी जा सकती है। जजों ने कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए फैसला बरकरार रखते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की परिस्थितियों और इस अपराध ने ‘लोगों को हतप्रभ करने की सुनामी पैदा कर दी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दो अलग अलग परंतु सहमति के निर्णय सुनाये। न्यायालय ने कहा कि अपराध की किस्म और इसके करने के तरीके ने सामाजिक विश्वास तोड़ा और यह मौत की सजा के लिये विरल से विरलतम अपराध की श्रेणी में आता है।
बता दें कि मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये जाने और सुनाई गयी मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी। इन चारों के अलावा दो और दोषी थे जिसमें से एक (राम सिंह) ने आत्महत्या कर ली थी। और दूसरा नाबालिग था जिसको जिवेनाइल एक्ट के तहत छोड़ दिया गया था।
इस सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। चारों ने उस फैसले को चुनौती देते हुए याचिका डाली थी। उसपर ही सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये जाने और सुनाई गयी मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी।
गौरतलब है कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में जघन्य तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसे उसके एक दोस्त के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया था। उसी साल 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में लड़की की मौत हो गयी थी।
शीर्ष अदालत ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये जाने और सुनाई गयी मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी। दिल्ली पुलिस ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के होने और युवा होने की वजह से नरमी बरती जानी चाहिए।
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