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निजीकरण के खिलाफ उतरे 10 मजदूर संगठन, बुधवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

नई दिल्लीदेश के 10 मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच ने 2021-22 के बजट में प्रस्तावित निजीकरण और अन्य  नीतियों के खिलाफ बुधवार, 3 फरवरी, 2021 को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही संयुक्त मंच ने श्रम संहिताओं को रद्द करने और गरीब मजदूरों को आय और खाद्य सुरक्षा देने की मांग भी की है।

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा था कि सरकार बैंकिंग सेक्टर में आईडीबीआई बैंक के अलावा दो और बैंकों तथा एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी कम करेगी।

इन दस मजदूर संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूसीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), स्वरोजगार महिला संघ (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।

किसान विरोधी नीतियां

संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा, “केंद्रीय मजदूर संघों और स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों/संघों के संयुक्त मंच ने श्रम संहिता और बिजली बिल 2020 को खत्म करने, निजीकरण रोकने और आय समर्थन तथा सभी के लिए भोजन की मांग को लेकर तीन फरवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने के लिए यूनियनों और कामगार वर्ग से आह्वान किया है।” संयुक्त मंच ने अपने बयान में कहा कि आम बजट में घोषित नीतियां किसान विरोधी हैं, जिनका वह विरोध करेगा।

बयान के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कार्यस्थलों और औद्योगिक केंद्रों पर बड़ी संख्या में जुटकर सरकारी नीतियों का विरोध किया जाएगा और श्रम संहिता की प्रतियां जलाई जाएंगी। मजदूर संगठनों ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट जमीनी हकीकत से बहुत दूर है और आरोप लगाया कि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह से भ्रामक और विनाशकारी है तथा इससे मेहनतकश लोग बड़े पैमाने पर पीड़ित होंगे। बयान में कहा गया कि बजट में किसानों को कोई राहत नहीं मिली है और सरकार ने केवल ऋण लेने की सीमा बढ़ाने की घोषणा की है।

बैंक अधिकारियों ने भी किया विरोध

बैंक कर्मचारियों के बाद अब बैंक अधिकारियों के संगठनों ने भी सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध किया है। देशभर में सरकारी बैंकों के अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली चार यूनियनों ने एक संयुक्त बयान में इसका विरोध किया है। इनमें ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), इंडियन नैशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नैशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबोओ) शामिल हैं।

बैंक अधिकारियों के संगठन ने इन प्रस्तावों का विरोध करते हुए कहा है कि इसका मकसद सार्वजनिक कंपनियों को कॉरपोरेट और विदेशी कंपनियों के हवाले करना है। उन्होंने सरकार से इन प्रस्तावों को वापस लेने की मांग की है। इससे पहले बैंक कर्मचारियों के सबसे बड़े कर्मचारी संगठन ‘अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ’ (एआईबीए) ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का निजीकरण किए जाने के बजटीय प्रस्ताव का विरोध करते हुए हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।

gajendra tripathi

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