केरल के मंदिर में भीषण आग से106 लोगों की मौत, मोदी ने बताया ‘हृदय विदारक’ घटना

कोल्लम, 10 अप्रैल। केरल में यहां पास स्थित 100 साल पुराने पुत्तिंगल देवी मंदिर परिसर में रविवार तड़के आतिशबाजी के दौरान लगी आग में कम से कम 106 लोगों की मौत हो गई और 383 अन्य घायल हो गए। हादसा तड़के साढ़े तीन बजे मंदिर परिसर में आतिशबाजी के दौरान हुआ। यह मंदिर केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम से करीब 70 किलोमीटर दूर है। आतिशबाजी के लिए अनुमति नहीं ली गई थी।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा रविवार देर रात जारी एक बयान में कहा गया है कि घटना में 106 लोगों की मौत हो गई जबकि 383 अन्य घायल हो गए। केरल सरकार ने हादसे की अपराध शाखा से जांच के साथ ही इसकी उच्च न्यायालय के एक अवकाशप्राप्त न्यायाधीश से न्यायिक जांच का भी आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने यह घोषणा हादसे को लेकर कैबिनेट की एक आपात बैठक के बाद की।

आतिशबाजी के लिए राजस्व और पुलिस अधिकारियों ने कोई इजाजत नहीं दी थी जो सालाना उत्सव के तहत मध्यरात्रि शुरू हुई थी। इसे देखने के लिए हजारों लोग एकत्र हुए थे। पुलिस ने बताया कि यह दुर्घटना तब हुई जब आतिशबाजी के दौरान गोदाम ‘कंबपुरा’ में चिंगारियां गिरीं और वहां रखे पटाखों में कर्णभेदी आवाज के साथ विस्फोट हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया, ‘आग की लपटें तेजी से फैल गई जिसने परिसर में श्रद्धालुओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया। झुलसे हुए शव और उनके अवशेष मंदिर परिसर में बिखरे पड़े थे।’ विस्फोट से मंदिर का एवं पास स्थित भवनों का कुछ कंक्रीट और प्लास्तर भी लोगों पर गिरा जिसके चलते कुछ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 75 शवों की पहचान की गई है और 84 पोस्टमार्टम किया गया है। चांडी ने हादसे में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख रुपये और मामूली रूप से जख्मी के लिए 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि की भी घोषणा की।

प्रधानमंत्री ने घटनास्थल का दौरा किया और हालात का जायजा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने घटना को ‘हृदय विदारक’ और ‘चौंकाने वाली’ बताया और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की। मोदी स्थिति का जायजा लेने और घायलों को देखने के लिए यहां निजी तौर पर आये।

केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और गृह मंत्री रमेश चेन्नीतला प्रधानमंत्री को परिसर के पास ले गए और उन्हें घटना की जानकारी दी। चांडी ने बताया कि शवों की पहचान के लिए वैज्ञानिक परीक्षण किया जाएगा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोट की आवाज एक किलोमीटर की परिधि में सुनी जा सकी और पूरे इलाके में अंधेरा छा गया क्योंकि बिजली आपूर्ति ठप हो गई और लोग जैसे-तैसे भागने लगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि कोल्ल्म की जिला कलेक्टर ने आतिशबाजी के लिए इजाजत नहीं दी थी। जिला कलेक्टर ए शैनामोल ने बताया आतिशबाजी के लिए किसी तरह की इजाजत नहीं दी गई थी।

उन्होंने बताया कि मंदिर प्रशासन ने प्रतियोगी आतिशबाजी के लिए इजाजत मांगी थी, पर इसे मना कर दिया गया था। सामान्य आतिशबाजी के लिए इजाजत नहीं मांगी गई और इस तरह इसे इजाजत देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। केरल के गृह मंत्री रमेश चेन्नीतला ने बताया कि यह पुलिस की नाकामी नहीं है। दरअसल, उनसे पूछा गया था कि पुलिस ने आतिशबाजी क्यों नहीं रोकी जब इसकी इजाजत नहीं थी।

उन्होंने कहा कि जब लाखों लोग यहां एकत्र थे तब यदि पुलिस कार्रवाई होती तो यह एक और समस्या हो जाती। इसलिए हमने सभी पहलुओं पर विचार किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंदिर प्राधिकारियों तथा विस्फोटक के लाइसेंस धारकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 और 308 तथा विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा चार के तहत मामला दर्ज किया गया है। यहां आए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने घटना के प्रति केरल सरकार की शीघ्र और निर्णायक प्रतिक्रिया की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘हमने घायलों की सुध ली है। मैं यहां खुद अपनी आंखों से सब कुछ देखने आया। मैं कुछ पीड़ितों से मिला.. यह हादसे का वक्त है और राज्य तथा देश के लिए बड़े ही दुख का समय है। हम केरल के लोगों के साथ हैं।’

आज का हादसा राज्य के इतिहास में पिछले 50 साल में सबसे भीषण हादसा है। गौरतलब है कि 1952 में सबरीमाला भगवान अयप्पा मंदिर परिसर में पटाखों में विस्फोट होने से कम से कम 68 लोगों की जान गई थी। इस बीच, केंद्र ने विस्फोट सुरक्षा संगठन पीईएसओ के मुख्य नियंत्रक को कोल्लम भेजा है ताकि यह जांच की जा सके कि कोल्लम के मंदिर में पटाखों या विस्फोटकों का अवैध इस्तेमाल तो नहीं किया गया था।

इस बीच, स्थानीय लोगों ने बताया कि दुर्घटना के समय मंदिर परिसर में मौजूद मंदिर समिति का 15 सदस्यीय दल घटना के बाद लापता हो गया। हादसे के बाद घायलों को अस्पताल ले जाने की व्यापक कोशिश की गई। नौसेना और वायुसेना ने छह हेलीकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान को सेवा में लगाया। विजयन नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मंदिर के ढांचे से कंक्रीट और लोहे की ग्रिल गिरने से काफी संख्या में लोग मारे गए।

चांडी ने कहा कि राज्य सरकार ने सुबह चुनाव आयोग से इसके लिए जरूरी अनुमति मांगी थी कि घायलों को इलाज की सुविधाओं को आदर्श आचार संहिता के दायरे से बाहर कर दिया जाए। उसे यह अनुमति सैद्धांतिक रूप से मिल गई।

उन्होंने कहा, ‘हम आज के निर्णयों के बारे में उन्हें सूचित करेंगे।’ चांडी ने कहा, ‘ऐसी आतिशबाजी के नियमन के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है और सभी को सहयोग करना चाहिए। यह दुर्घटना आंखें खोलने वाली होनी चाहिए। कड़े दिशानिर्देश लाने पड़ेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने पड़ेंगे कि यह लागू हो।’

उन्होंने घायलों को सर्वश्रेष्ठ इलाज का वादा किया और कहा कि उनके रिश्तेदार जिस भी अस्पताल में चाहेंगे उन्हें वहां स्थानांतरित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार सभी चिकित्सकीय खर्चे का ध्यान रखेगी।’ उन्होंने कहा ‘कुछ घायलों की हालत बहुत गंभीर बताई जाती है। घायलों को कोल्लम और उसके आसपास तथा तिरूवनंतपुरम के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सभी इंतजाम करेगा, बशर्ते कि किसी घायल को दिल्ली, मुंबई या किसी अन्य स्थान पर स्थित अस्पताल में भेजे जाने की जरूरत हो।

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