श्रीनगर। अफजल गुरु के अवशेष उसके परिजनों को सौंपने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। गौरतलब है कि 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद अफजल गुरु को जेल परिसर में ही दफन कर दिया गया था। उस समय की यूपीए सरकार ने अफजल के अवशेषों को उसके परिवार को सौंपने से इन्कार कर दिया था। कश्मीर घाटी में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए अवशेष देने से मना किया गया था।
अफजल के परिजनों का कहना है कि उसके परिवार के किसी सदस्य को आखरी समय में उससे मिलने नहीं दिया गया था न ही किसी को उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने की इजाजात दी गई थी। नेशनल कांफ्रेंस का इस बारे में कहना है कि यह बात बिल्कुल उचित नहीं है नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता आगा सईद रुहुल्ला मेंहदी ने कहा कि यह न्यायोचित नहीं है कि अफजल गुरु के शव को उसके परिवारवालों को नहीं सौंपा गया जबकि याकूब मेमन के शव को उसके परिवारवालों को सौंपा गया।
गौरतलब है कि अफजल गुरु को जब फांसी दी गई उस समय जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस का शासन था। इस बात को लेकर प्रदेश की जनता की ओर से सरकार को काफी विरोध झेलना पड़ा था। उस समय के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी अफजल गुरु के अवशेष लौटाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। आवामी इत्तेहाद पार्टी के प्रमुख शेख अब्दुल रशीद ने कहा कि केंद्र जम्मू कश्मीर के लोगों को सेकेंड ग्रेड नागरिक की तरह से ट्रीट करता है।