वर्मा को सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वर्मा को उनके पद पर बहाल किया था जिस पर उन्होंने बुधवार को निदेशक का पद फिर संभाल लिया था।



नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर पर गुरुवार को हुई चयन समिति (Selection Committee) की बैठक में यह फैसला लिया गया। चयन समिति ने आलोक वर्मा को 2-1 के बहुमत से हटाने का फैसला किया, हालांकि उनका कार्यकाल 31 जनवरी तक का था। बैठक में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और न्यायमूर्ति एके सीकरी भी थे. न्यायमूर्ति सीकरी देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की तरफ से उपस्थित हुए। इससे पहले पैनल की बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी। 
 काग्रेस
नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को हटाने के फैसले का विरोध किया जबकि
प्रधानमंत्री मोदी और न्यायमूर्ति सीकरी वर्मा को हटाने के पक्ष में थे। सीवीसी की
रिपोर्ट में वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। वर्मा को अब एनएचआरसी में
पदस्थापित किये जाने की संभावना है.

आलोक वर्मा को सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनको उनके पद पर बहाल कर दिया था। दरअसल, आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसके बाद दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। वर्मा ने सीबीआई के निदेशक पद से उन्हें हटाए जाने के फैसले को सुप्री कोर्ट में चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के निर्णय को रद्द कर दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की जांच पूरी होने तक उन पर कोई भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगा दी। इसके बाद वर्मा ने पुनः सीबीआई के निदेशक का पद संभाल लिया था।

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