वर्मा ने कहा है कि वह पुलिस सेवा से 31 जुलाई 2017 को रिटायर हो चुके हैं और सिर्फ निदेशक सीबीआई पद के लिए 31 जनवरी 2019 तक तैनात थे। अब क्योंकि उन्हें सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया गया है लिहाजा उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से रिटायर माना जाए।
नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पूर्व निदेशक व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा ने शुक्रवार को अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समित (Selection Committee) ने गुरुवार को उन्हें बहुमत के आधार पर पद से हटा दिया था। इसके बाद उन्हें फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया था। वर्मा ने यह पद लेने से इन्कार कर दिया। इस बीच आलोक वर्मा की ओर से जारी किए गए सभी तबादला आदेशों को सीबीआई के अंतरिम प्रमुख नागेश्वर राव ने पलट दिया है। सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि पद पर बहाली के बाद आलोक वर्मा द्वारा किए गए सभी तबादला आदेशों को रद किया गया।
भारत सरकार के सेक्रटरी पर्सनल एड ट्रेनिंग को लिखे पत्र में आलोक वर्मा ने कहा है कि वह पुलिस सेवा से 31 जुलाई 2017 को रिटायर हो चुके हैं और सिर्फ निदेशक सीबीआई पद के लिए 31 जनवरी 2019 तक तैनात थे। अब क्योंकि उन्हें सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया गया है लिहाजा उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवा से रिटायर माना जाए।
आलोक कुमार वर्मा ने पत्र में कहा है कि उनका अब तक का सर्विस रिकार्ड बेदाग रहा है। चयन समिति ने उन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और बिना बात सुने उन्हें पद से हटा दिया गया। चयन समिति ने सिर्फ शिकायतकर्ता की बात को सुना जिसकी खुद सीबीआई जांच कर रही है और वह खुद सीवीसी की जांच कमेटी के सामने आरोपों के सुबूत लेकर हाजिर नहीं हुआ।
सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया कि उनका तबादला उनके विरोध में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है। इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए गुरुवार देर रात जारी एक बयान में वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए। मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी। वर्मा ने कहा, ‘‘मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और यदि मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा।’’
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