नई दिल्ली। (veteran filmmaker Basu Chatterjee dies) हिंदी फ़िल्म उद्योग को एक और बड़ा झटका। बॉलिवुड में मानो मौत का साया मंडरा रहा है। लॉकडाउन के दौरान इमरान खान, ऋषि कपूर, योगेश, वाजिद खान और अनवर सागर की मौत के सदमे में डूबी फिल्म इंडस्ट्री को एक और बड़ा आघात देते हुए दिग्गज फिल्मकार बासु चटर्जी (बासु दा) भी अनंत यात्रा पर चले गए जहां से कोई वापस नहीं आता। 90 साल के बासु दा ने गुरुवार को अंतिम सांस ली। उनके निधन की जानकारी मिलते ही बॉलिवुड में शोक की लहर दौड़ गई।

बासु चटर्जी का हिंदी सिनेमा में लंबा और अविस्मरणीय योगदान है। उन्होंने कई क्लासिक और कल्ट समझी जाने वाली फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन किया था। मध्यम वर्ग की नब्ज़ पकड़कर फ़िल्में बनाने में उनको महारत हासिल थी। उनकी फ़िल्मों के किरदार रोज़मर्रा की ज़िंदगी से निकलते थे जो दिखने में सीधे-साधे मगर शरारती होते थे। उनकी फिल्मों में रजनीगंधा, छोटी सी बात, चितचोर दिल्लगी, खट्टा-मीठा, पसंद अपनी-अपनी, चमेली की शादी जैसी फ़िल्में शामिल हैं। 

फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने ट्वीट कर बताया कि बासु दा का अंतिम संस्कार आज दोपहर 2 बजे सांताक्रूज़ में होगा। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अशोक पंडित ने लिखा- लीडेंजरी फ़िल्ममेकर बासु चटर्जी के निधन की ख़बर से दुखी हूं। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर 2 बजे सांताक्रूज़ में किया जाएगा।

बासु चटर्जी का जन्म 10 जनवरी 1930 को अजमेर में हुआ था। उन्होंने अपना करियर ब्लिट्ज़ मैगज़ीन में बतौर कार्टूनिस्ट शुरू किया था। 18 साल वहां काम करने के बाद उन्होंने फ़िल्मों की ओर रुख़ किया और दिग्गज फ़िल्ममेकर बासु भट्टाचार्य के असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया। यह फिल्म थी- तीसरी कसम से की थी। इस फ़िल्म को बेस्ट फीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। 1969 में आयी सारा आकाश से उन्होंने निर्देशकीय पारी शुरू की थी। यह फ़िल्म क्रिटिकली सफल रही और इसे बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए फ़िल्मफेयर अवॉर्ड भी दिया गया।

बासु दा ने पिया का घर, उस पार, रजनीगंधा, चितचोर, स्वामी, खट्टा-मीठा, प्रियतमा, चक्रव्यूह, जीना यहां, बातों-बातों में, अपने पराए, शौकीन और एक रुका हुआ फैसला जैसी क्लासिक फ़िल्में हिंदी सिनेमा को दीं।

बासु दा ने सुपरस्टार्स को डायरेक्ट किया।  शौकीन में उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती और रति अग्निहोत्री, प्रियतमा में जीतेंद्र और नीतू सिंह, मनपसंद में देवानंद और टीना मुनीम, चक्रव्यूह में राजेश खन्ना और नीतू सिंह, दिल्लगी में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी तथा   मंज़िल में अमिताभ बच्चन को निर्देशित किया था। ये सभी फ़िल्में हिट हुईं और हिंदी सिनेमा की धरोहर मानी मानी जाती हैं।

बासु दा ने सबसे ज़्यादा फ़िल्में अमोल पालेकर के साथ कीं जिनमें रजनीगंधा, छोटी सी बात, चितचोर, बातों बातों शामिल हैं। उन्होंने दूरदर्शन के लिए ब्योमकेश बख्शी और रजनी धारावाहिकों का निर्माण निर्देशन किया था। 

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