सोशल मीडिया पर इस आवाज को बुलंद करने वाले लोगों का मानना है कि डॉ. कलाम का योगदान जीवनपर्यंत अनूठा रहा है। ऐसे में उन्हें यह सम्मान मिलना ही चाहिए। उल्लेखनीय है कि डॉ. कलाम ने अपने जीवन के चार दशक का समय भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान इसरो को दिए।
इस दौरान 1998 में भारत की पहली परमाणु मिसाइल परीक्षण में कलाम का योगदान अभिन्न था। डॉ. कलाम को उनके काम के लिए भारत का सर्वोच्च नागिरक सम्मान भारत रत्न भी दिया जा चुका है। हालांकि सोशल मीडिया पर चल रही इस बहस का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। लेकिन देश के लोगों की डॉ. कलाम के लिए इस तरह की भावनाओं का उमड़ना मायने रखता है और सरकार को इन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
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