नई दिल्‍ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाप शुक्रवार को 4 और पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड  के समर्थन से मिसबाहुद्दीन, हसबुल्ला, हाजी महबूब और रिजवान अहमद ने ये याचिकाएं दायर कीं। खुली अदालत में सुनवाई हुई तो राजीव धवन मामले की पैरवी करेंगे।

इन याचिकाओं में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 1992 में मस्जिद ढहाए जाने को मंजूरी जैसा लगता है। फैसला अवैध रूप से रखी गई मूर्ति के पक्ष में सुनाया गया। अवैध हरकत करने वालों को ज़मीन दी गई। मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन देने का फैसला पूरा इंसाफ नहीं कहा जा सकता। इन आधारों पर सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है।  इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या जमीन विवाद में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सोमवार को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

जमीयत-उलेमा-हिंद से जुड़े असद रशीदी की तरफ से 217 पन्नों की याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने माना कि वहां नमाज होती थी फिर भी मुसलमानों को बाहर कर दिया. इसके साथ ही कहा गया है कि 1949 में अवैध तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई, फिर भी रामलला विराजमान को पूरी जगह दी गई।

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