नई दिल्ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में बुधवार को 19वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने अपनी दलील पेश कीं। धवन ने कहा कि 1858 से पहले के सभी गज़ेटियर पर कोर्ट भरोसा नहीं कर सकता। 1858 से पहले के गज़ेटियर ईस्ट इंडिया कंपनी ने तैयार किए थे। ये सभी गज़ेटियर एक विशेष तरीके से विवादों के लिए जमा किए गए थे। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दी गई थी पर टाइटिल मुसलमानों के पास था। हिंदू पूजा करना चाहते थे, मुसलमानों ने उन्हें इजाजात दी पर टाइटिल हमेशा मुसलमानों के पास ही रहा।
मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि देवता के अधिकार सीमित हैं। शेबेट ने 1885 में दावा किया पर उपाधित्व का दावा नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शेबेट का अधिकार देवता के प्रबंधन के बारे में है लेकिन देवता का अधिकार अल्पविकसित है। धवन ने कहा कि 1885 में शेबेट ने याचिका दाखिल की लेकिन कब्ज़े को चुनौती नहीं दी गई। आधुनिक ऐंग्लो मस्लिम कानून के साथ हमको चलना होगा। हम यह नहीं कह सकते कि वे अच्छे लोग थे या बुरे। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि आप कह रहे हैं कुरानिक कानून मस्जिद पर लागू नहीं होगा। धवन ने कहा कि कुरानिक कानून को भारतीय कानून ने माना है, आप कुरानिक कानून की अनदेखी नही कर सकते।
धवन ने कहा कि हम निर्मोही अखाड़ा के शेबेट के अधिकार को नहीं छीन रहे। न्यायमूर्ति भूषण ने धवन से पूछा, “इसका मतलब है कि आप स्वीकार कर रहे हैं कि वे बाहरी आंगन में प्रार्थना कर रहे थे।“
धवन ने कहा कि 1885 में उन्होंने अंदरूनी हिस्से पर अधिकार की बात कही और पूजा के अधिकार की बात कही। शेबेटशिप उनकी न्यायिक स्थिति है। निर्मोही अखाड़ा प्रबंधन अधिकारों की मांग कर रहा है, वह प्रबंधन अधिकारों का हकदार है लेकिन बाहरी आंगन में क्या था और पूजा कहां की जा रही थी इसका फैसला होना है।
सुन्नी वक़्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार इक़बाल अंसारी पर हुए हमले पर कोर्ट का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, “इक़बाल अंसारी के बेटे हाशिम पर हमला हुआ, वह भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। अंसारी को पुलिस ने हमलावर से बचाया। हम सुरक्षा बढ़ाने की मांग नहीं कर रहे है पर जो सुरक्षा मिली हुई उसमें हमला कैसे हुए, किस तरह की सुरक्षा है यह।” धवन ने कहा कि इकबाल अंसारी ने कहा है कि उनके दरवाज़े सभी के लिए खिले हुए हैं, उनके यहां सभी का स्वागत होता है। धवन ने कहा, “मैं नहीं जानता कि इस हमले की जांच कराए जाने की जरूरत है या नहीं लेकिन इस घटना पर कोर्ट की सामान्य टिप्पणी भी मायने रखती है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम देखेंगे कि इस मामले में क्या किया जा सकता है और जो कुछ जरूरी होगा हम करेंगे।”
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