लखनऊ/नई दिल्ली। अयोध्या के श्रीराम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर बुधवार को दो बड़े फैसले हुए। पहला- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के गठन की घोषणा की और दूसरा- उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या के रौनाही में पांच एकड़ जमीन देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में लिये गए इन फैसलों पर शिया वक्फ बोर्ड ने खुशी जाहिर की है जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच केंद्र और यूपी सरकार के फैसलों की टाइमिंग पर सवाल भी उठाए गए हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं संयोजक बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के सचिव एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि किसी भी मस्जिद की जमीन के बदले में जमीन न दी जा सकती है ना ली जा सकती है, यह इस्लामी शरीयत और कानून दोनों के ही खिलाफ है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले से ही जमीन लेने के पक्ष में नहीं है। हालांकि जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दी गई है इसे तय करना है कि जमीन लेनी है या नहीं। एडवोकेट जिलानी ने कहा कि यह फैसला 1993 के एक्ट के खिलाफ है, साथ ही 1994 में दिए गए अदालत के फैसले के खिलाफ भी है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, उससे जुड़ी प्रमुख तंजीमों और लगभग सभी मुसलमानों का फैसला है कि हम अयोध्या में मस्जिद के बदले कोई और जमीन नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिए।
शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने कहा कि केंद सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई। सरकार ने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करके हिंदू भाइयों को उनका हक दिया है। बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकिर ने कराया था जो शिया थे। इसलिए जो जमीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को मिली वह शिया वक़्फ़ बोर्ड को मिलनी चाहिए थी।
बाबरी मस्जिद मामले में पैरोकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में जमीन देने की बात कही थी, मंदिर उसी स्थान पर बनना है। हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया। अयोध्या में हमने अपने घर के पास जमीन मांगी थी। मस्जिद के लिए जो जमीन मिलेगी उससे महिला अस्पताल, स्कूल और उन हिंदूओं के लिए धर्मशाला बनाएंगे जो राम मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। हिंदू-मुसलमानों का झगड़ा खत्म हो गया है। हम चाहते हैं कि मंदिर के साथ-साथ मस्जिद का भी निमार्ण शुरू हो जाए। हिंदू-मुस्लिम सौहार्द्र बना रहे।
ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि इस मुद्दे पर अब किसी को सियासत का मौका नही मिलेगा।
ऑल इंडिया शिया चांद कमिटी के प्रेजिडेंट मौलाना सैफ अब्बास ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सबकुछ किया गया है। इसमें हम ट्रस्ट के लिए सभी को गुडलक कहेंगे। ट्रस्ट में जितने लोग हैं, उनमें असंतोष है। इसके अलावा दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है। यदि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद इसकी घोषणा करते तो ज्यादा बेहतर होता। आज सब यही कह रहे हैं कि दिल्ली के चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए ऐसा किया गया है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के गठन के समय पर सवाल उठाए हैं।
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