लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को अयोध्या के बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत से राहत मिल गई। इससे पहले उनकी तरफ से इस मामले में सरेंडर एप्लीकेशन डाली गई है। इस पर सुनवाई के बाद उनको दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई।
अदालत ने इस मामले में कल्याण सिंह के खिलाफ आरोप पहले ही तय कर दिए थे। अदालत ने कल्याण सिंह के खिलाफ 153 ए,153 बी व 295 आपराधिक साजिश की धारा के तहत नियम विरुद्ध इकट्ठा होने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने और आपराधिक साजिश में आरोप तय किए। अब सीबीआई विशेष जज अयोध्या प्रकरण की अदालत में कल्याण सिंह पर मुकदमा चलेगा। इसी मामले में गवाही इस समय ट्रायल पर चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर विशेष अदालत रोजाना इस मामले में सुनवाई कर रही है और प्रतिदन गवाही दर्ज हो रही है।
इससे पहले शुक्रवार को कल्याण सिंह लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में पेश हुए। पेश होते ही उनको हिरासत में ले लिया गया। उनकी तरफ से मामले में जमानत अर्जी भी दाखिल कर दी गई। वकीलों ने उनकी खराब सेहत का हवाला देते हुए जमानत अर्जी दाखिल की।
6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में ढांचा गिराया गया था, उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इस मामले में सीबीआइ की याचिका पर कल्याण सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई थी। कल्याण सिंह को छोड़कर इस मामले में अन्य सभी आरोपी जमानत पर हैं। राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने कल्याण सिंह को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश जारी किया।
कल्याण सिंह के राजस्थान के राज्यपाल पद से हटने के बाद सीबीआई से कोर्ट ने दस्तावेजी प्रमाण की मांग की थी। अब तक सीबीआई की तरफ से दस्तावेज पेश न करने के बावजूद अदालत ने यह आदेश किया है। इससे पहले कल्याण सिंह ने कहा था कि वह सीबीआई कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हैं।
इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा तथा महंत नृत्य गोपाल दास जमानत पर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल, 2017 को लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के आरोप फिर से बहाल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपी के तौर पर बुलाया नहीं जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपालों को संवैधानिक छूट मिली हुई है। जिस समय सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी, उस समय कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल के पद पर थे। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान आपराधिक और दीवानी मामलों से छूट प्रदान की गई है।
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