नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में पहले से ही पस्त कांग्रेस को विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एक बड़ा झटका लगा है। कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए। वह पूर्व सांसद होने के साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले जितिन ने गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की और फिर रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ भाजपा कार्यालय पहुंचे।
47 वर्षीय जितिन प्रसाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद भाजपा में शामिल होने वाले राहुल गांधी के दूसरे सबसे करीबी नेता हैं। ज्योतिरादित्य पिछले साल भाजपा में शामिल हुए थे।
भाजपा की सदस्यता लेने के बाद जितिन ने कांग्रेस पर तंज कसा। कहा, “मैं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सभी भाजपा नेताओं का धन्यवाद देता हूं। ये राजनीतिक जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है। मेरा कांग्रेस से तीन पीढ़ियों का नाता है। ये अहम निर्णय विचार और मंथन के बाद लिया है। सवाल ये नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं। सवाल ये है कि किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं। कुछ सालों से महूसस किया है कि आज देश में असली मायने में कोई राजनीतिक दल है तो भाजपा है। राष्ट्रीय दल तो भाजपा है।”
भाजपा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने बुधवार सुबह एक ट्वीट किया। यह ट्वीट था, “आज एक दिग्गज शख्सियत दोपहर 1 बजे भाजपा मुख्यालय में पार्टी में शामिल होगी।” इस ट्वीट के बाद कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। ये कयास जितिन प्रसाद की तरफ इसलिए भी जा रहे थे क्योंकि उन्होंने 5 जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर बधाई दी थी। लोगों ने पता करना शुरू किया तो पता चला कि यह बड़े नेता और कोई नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के जितिन प्रसाद हैं।
जितिन प्रसाद का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी कयास लगाए जा रहे थे कि जितिन कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। जितिन प्रसाद धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। वह केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री भी रहे हैं।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि यूपी में प्रियंका गांधी के आने के बाद से जितिन प्रसाद को साइड लाइन कर दिया गया। पार्टी के कार्यक्रमों में भी उनको कम तवज्जो मिलती थी। हालांकि शुरुआत में जितिन ने कभी खुलकर इसको जाहिर नहीं किया।
जितिन प्रसाद का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में शुमार है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी कयास लगाए जा रहे थे कि वह कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम सकते हैं लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। जितिन प्रसाद धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं।
जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और इसे और ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा था। उत्तर प्रदेश में इसको लेकर कुछ नेताओं ने विरोध भी किया था।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारों की सूची में देरी पर भी जितिन प्रसाद नाराज हो गए थे। तब वह कांग्रेस के राज्य प्रभारी थे।
सचिन पायलट जब कांग्रेस से नाराज थे तब जितिन प्रसाद ने उनका समर्थन किया था। जितिन ने ट्वीट किया था, “सचिन पायलट सिर्फ मेरे साथ काम करने वाले नहीं बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। इस बात को कोई नकार नहीं सकता कि उन्होंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम किया है। उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति जल्द सही हो जाएगी। ऐसी नौबत आई इससे दुखी भी हूं।”
जितिन प्रसाद लंबे समय से ब्राह्मण समाज के हक में आवाज उठा रहे हैं। हालांकि, प्रदेश नेतृत्व से उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा था। यही वजह थी कि जब जितिन ने ब्रह्म चेतना सवांद कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर लिया। कई नेताओं ने यह तक कहा कि वह उनका अपना निजी मसला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।
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