शाहीन बाग में महीनों चले धरना-प्रदर्शन के संवैधानिक/कानूनी पहलुओं पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, “किसी को अपने अधिकारों के इस्तेमाल के लिए दूसरे के अधिकारों को कुचलने की इजाजत नहीं दी जा सकती।”
नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सड़क पर धरना-प्रदर्शन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शाहीन बाग सरीखे प्रदर्शन स्वीकार्य नहीं किए जा सकते। इस तरह के विरोध प्रदर्शन स्वीकार्य नहीं हैं और अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को किस तरीके से कार्य करना है यह उनकी जिम्मेदारी है। देश की सबसे बड़ी आदालत ने आगे कहा, “प्रशासन को रास्ता जाम कर प्रदर्शन रहे लोगों को हटाना चाहिए, कोर्ट के आदेश का इंतजार नही करना चाहिए।”
शाहीन बाग में महीनों चले धरना-प्रदर्शन के संवैधानिक/कानूनी पहलुओं पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, “किसी को अपने अधिकारों के इस्तेमाल के लिए दूसरे के अधिकारों को कुचलने की इजाजत नहीं दी जा सकती।” अदालत ने आगे कहा, “धरना-प्रदर्शन के नाम पर अन्य नागरिकों के आवागमन का अधिकार अनिश्चितकाल तक रोका नहीं जा सकता।”
गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने संसद से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पास किया था. जिसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया। इस कानून को धर्म के आधार पर बांटने वाला बताकर दिल्ली से शाहीन बाग से लेकर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन किए गए। शाहीन बाग में दिसंबर से मार्च तक कोरोना लॉकडाउन लगने तक सड़कों पर प्रदर्शन चला था।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा, “सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है लेकिन उन्हें निर्धारित क्षेत्रों में होना चाहिए। संविधान विरोध करने का अधिकार देता है लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। विरोध के अधिकार को आवागमन के अधिकार के साथ संतुलित करना होगा।”
गौरतलब है कि सीएए के विरोध में देशभर के विभिन्न स्थानों के साथ-साथ शाहीन बाग में भी 15 दिसंबर 2019 को धरना शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-नोएडा मार्ग पर जमावड़ा लगा दिया जिससे कालिंदी कुंज से होकर नोएडा से दिल्ली और फरीदाबाद आने-जाने वाले लाखों लोगों को महीनों तक परेशानी हुई। लोगों को कई किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटकर आना-जाना पड़ रहा था। इस मार्ग के बंद होने के कारण रिंग रोड, मथुरा रोड और डीएनडी पर यातायात का अतिरिक्त दबाव पड़ा। इस कारण इन मार्गो पर भीषण जाम लगता रहा।
शाहीन बाग की तर्ज पर दिल्ली के अन्य इलाकों में भी सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने मुख्य मार्गों पर जुटना शुरू किया और हालत ऐसी हो गई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से ठीक पहले राष्ट्रीय राजधानी में दंगे भड़क गए। 23 फरवरी को “नमस्ते ट्रंप” कार्यक्रम में शिरकत करने भारत पहुंचे और अचानक जाफराबाद समेत दिल्ली के कई हिस्सों में दंगे शुरू हो गए। तब एक तबके ने शाहीन बाग में इतने लंबे चले धरने के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए संदेह जताया था कि अगर यह धरना जल्द खत्म नहीं हुआ तो यह देश और समाज के लिए गलत मिसाल बनेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के कारण विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए 22 मार्च 2020 को पूरे देश में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया। लॉकडाउन के दो प्रमुख नियमों- कहीं भी भीड़ जमा नहीं करना और सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करना के तहत शाहीन बाग के धरने को खत्म किया जाना था। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने धरना खत्म करने में आनाकानी की लेकिन आखिरकार उन्हें प्रदर्शन स्थल से उठना पड़ा।
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