बॉलिवुड को बड़ा झटका : जिंदगी की पहेली सुलझाते-सुलझाते चले गये योगेश

नई दिल्ली। आनंद समेत कई क्लासिक हिंदी फ़िल्मों को अपने गीतों से नवाज़ने वाले योगेश नहीं रहे। शुक्रवार को 77 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। लॉकडाउन के दौरान बॉलीवुड को यह तीसरा बड़ा झटका है। इससे पहले इमरान खान और ऋषि कपूर भी अपनी जिंदगी का सफर पूरा कर इस दुनिया को लॉकडाउन के दौरान ही अलविदा कह चुके हैं। लता मंगेशकर समेत बॉलिवुड की कई हस्तियों ने योगेश को श्रद्धा सुमन अर्पित किये हैं।

लता मंगेशकर ने ट्विटर पर लिखा, “मुझे अभी पता चला कि दिल को छू लेने वाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हुआ। ये सुनके मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी के लिखे कई गीत मैंने गाये। योगेश बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं।“

अभिनेता और फ़िल्म निर्माता निखिल द्विवेदी ने योगेश को याद करते हुए लिखा, “आप अपने किस्म के अकेले थे। हम आपको आपका हक़ नहीं दे सके  लेकिन आपका हरेक मोती हमेशा रहेगा। आप मेरे पसंदीदा थे। आप लीजेंड हैं।”

19 मार्च 1943 को लखनऊ में जन्मे योगेश ने साठ और सत्तर के दौर में कई बेहतरीन गीत हिंदी सिनेमा को दिये। इनमें आनंद फ़िल्म के गीत “कहीं दूर जब दिन ढल जाए” और “ज़िंदगी कैसी है पहेली” जैसे कालजयी गीत शामिल हैं। उन्होंने मुख्य रूप से ऋषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी की फ़िल्मों के लिए गीत लिखे। 

योगेश के करियर की शुरुआत 1962 की फ़िल्म सखी रॉबिन फ़िल्म से हुई थी जिसके लिए उन्होंने 6 गाने लिखे थे। 1974 की फ़िल्म रजनीगंधा, 1976 की फ़िल्म छोटी सी बात, 1979 की फ़िल्म बातों बातों और मंज़िल समेत उनके गीतों ने कई फ़िल्मों को यादगार बनाया। योगेश की आख़िरी बड़ी रिलीज़ फ़िल्म बेवफ़ा सनम थी जिसमें किशन कुमार ने लीड रोल निभाया था। उन्होंने कुछ टीवी सीरियल्स के लिए भी लेखन किया था।

इंडियन एक्सप्रेस को दिये एक इंटरव्यू में योगेश ने कहा था, “जो देखा था, जो जीता था, वही लिखा है। मैंने हमेशा अपने आस-पास के लोगों के बारे में लिखा।”