नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने देश के विभिन्न शहरों में मसालों के नमूनों की सुरक्षा जांच के बाद पिछले एक महीने में 111 मसाला उत्पादकों के विनिर्माण लाइसेंस (manufacturing license) रद्द कर दिए हैं। इन सभी को तुरंत उत्पादन बंद करने का निर्देश दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और एफएसएसएआई द्वारा देश भर में 4,000 नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है, जिससे और भी लाइसेंस रद्द होने की संभावना है.
दरअसल, इसी साल अप्रैल में सिंगापुर और हांगकांग ने भारत के लोकप्रिय मसाला ब्रांड एमडीएच प्राइवेट लिमिटेड और एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के कुछ उत्पादों की बिक्री पर इस आधार पर रोक लगा दी थी कि इनमें कैंसर पैदा करने वाले कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड (ETO) की मौजूदगी मिली है। FSSAI ने देश भर में मसालों के नमूने एकत्र करना शुरू कर दिया ताकि उनकी सुरक्षा जांच की जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मसालों के नमूनों की सुरक्षा जांच की प्रक्रिया अभी भी जारी है और FSSAI द्वारा 4,000 नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है। इन नमूनों में एवरेस्ट, एमडीएच, कैच, बादशाह जैसे जाने-माने ब्रांडों के उत्पाद शामिल हैं।
मिन्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, FSSAI ने 2,200 नमूनों का परीक्षण किया है जिनमें से 111 मसाला निर्माताओं के उत्पाद मूल मानक गुणवत्ता को पूरा नहीं कर पाए। ऐसे मसाला निर्माताओं के लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं और उत्पादन बंद करने को कहा गया है। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि FSSAI के तहत परीक्षण केंद्रों की संख्या कम है, इसलिए उन कंपनियों की सूची तैयार करने में समय लग रहा है जिनके लाइसेंस रद्द किए जाने हैं।
अधिकारियों के अनुसार, रद्द किए गए लाइसेंसों में से अधिकतर केरल और तमिलनाडु के छोटे मसाला निर्माताओं के हैं। गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की कई कंपनियों पर भी जांच चल रही है। इन 111 कंपनियों में से अधिकतर छोटे पैमाने पर काम करने वाली हैं और उनका संपर्क नहीं हो सका क्योंकि उनके पास कोई आधिकारिक वेबसाइट, संपर्क नंबर या ईमेल आईडी नहीं है।
अधिकारियों के अनुसार, इस साल मई में FSSAI ने एमडीएच और एवरेस्ट के नमूनों का परीक्षण किया और उनमें एथिलीन ऑक्साइड (ETO) नहीं मिला। परीक्षण में महाराष्ट्र और गुजरात में एवरेस्ट से 9 और दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एमडीएच से 25 नमूनों को शामिल किया गया था। एक news एजेंसी के अनुसार, परीक्षण में नमी की मात्रा, कीट और कृंतक संदूषण, भारी धातुएं, एफ्लाटॉक्सिन और कीटनाशक अवशेष जैसे कई पैरामीटर शामिल थे। नमूनों का परीक्षण एनएबीएल-प्रमाणित प्रयोगशालाओं में एथिलीन ऑक्साइड यानी ETO के लिए किया गया था। FSSAI को अब तक लगभग 28 प्रयोगशाला रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं और उनमें यह रसायन नहीं पाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खाद्य मानक एजेंसी (FSA) ने कहा था कि वह जनवरी 2023 से पहले ही भारत से आने वाले विभिन्न मसालों में ETO के लिए प्रारंभिक चेतावनी अलर्ट जारी कर रही थी।
एथिलीन ऑक्साइड (ETO) को अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी द्वारा ग्रुप 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है जिसमें स्तन कैंसर का बढ़ा हुआ जोखिम भी शामिल है।
यह पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय मसाला ब्रांड को विदेश में कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। 2023 में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने साल्मोनेला के लिए सकारात्मक परीक्षण के बाद एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स को अपने उत्पाद वापस बुलाने का आदेश दिया था।
स्टार्च, चूरा, कृत्रिम रंग और रासायनिक रंगों जैसे मिलावट का उपयोग अक्सर मात्रा बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए किया जाता है जिससे इन मसालों की गुणवत्ता और सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। FSSAI ने कहा है कि उपभोक्ताओं को केवल प्रतिष्ठित ब्रांडों से मसाले खरीदने चाहिए और मसालों के लेबल और पैकेजिंग पर सावधानीपूर्वक जानकारी पढ़नी चाहिए।
FSSAI ने रसोई में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों की शुद्धता पता करने का तरीका बताया है।
हल्दी पाउडर में मिलावट की जांचः FSSAI के मुताबिक हल्दी पाउडर में आर्टिफिशियल कलर की मिलावट की जाती है। इसे पता करने के लिए एक गिलास पानी में 1 चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं। शुद्ध हल्दी गिलास में नीचे बैठते हुए हल्का पीला रंग छोड़ती है जबकि मिलावटी हल्दी पाउडर सतर पर बैठता हुआ गाढ़ा पीला रंग छोड़ता है।
मिलावटी हींग की पहचानः हींग पाउडर में चिपचिप पदार्थ की मिलावट की जाती है। इसे पता करने के लिए स्टील की 1 चम्मच में हींग डालें। इसे जलाकर देखें। असली हींग कपूर की तरह जल उठेगी जबकि मिलावटी हींग से कपूर की तरह आग की लपटें नहीं उठेंगी।
मिलावटी लाल मिर्च पाउडर की जांचः पिसी हुई लाल मिर्च पाउडर में लकड़ी का चूरा या सिंथेटिक रंग की मिलावट की जाती है। एक गिलास पानी में लाल मिर्च पाउडर डालें। अगर इसमें चूरा है तो भूरा या काले रंग का चूरा पानी के ऊपर तैरने लगेगा। असली लाल मिर्च नीचे बैठ जाएगी। मिर्च पाउडर को पानी पर छिड़केंगे तो सिंथेटिक रंग छूटने लगेगा। जबकि असली मिर्च पाउडर पानी के ऊपर तैरेगा।
मिलावटी नमक की जांचः एक गिलास पानी में नमक डालकर मिलाएं। अगर उसमें चॉक पाउडर की मिलावट है तो यह पानी को सफेद कर देगा। अगर आप नमक में आयोडीन का पता लगाना चाहते हैं तो उसे कटे आलू पर रगड़ें। एक मिनट बाद नींबू का रस डालें। आयोडीन वाला नमक नीला हो जाएगा।
नकली काली मिर्च की पहचानः काली मिर्च में लाइट ब्लैक बेरीज मिलाई जाती हैं। इसे अंगुली से दबाकर पता लगाया जा सकता है। इसके लिए काली मिर्च के दाने फैला लें। असली काली मिर्च के दाने अंगुली से दबने पर टूटेंगे नहीं जबकि लाइट ब्लैक बेरीज टूट जाएगी।
जीरे में मिलावट की पहचानः थोड़ा जीरा लें और इसे हथेली के बीच अच्छी तरह रगड़ें। अगर इसमें मिलावट होगी तो हथेली का रंग काला पड़ने लगेगा।
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