पटना। जाति, धर्म, लव जिहाद, भाषा और देश के नाम आदि को लेकर विवाद के बीच बिहार के नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण कर सौहार्द की मिसाल पेश की। वह कटिहार के कदवा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं। शकील अहमद खान जब संस्कृत में शपथ ग्रहण कर रहे थे, तब बिहार विधान सभा के कई सदस्यों ने मेज थपथपाकर उनकी प्रशंसा की।

शपथ लेने के बाद सदन से बाहर निकलने आने पर शकील अहमद खान ने कहा, “उर्दू मेरी भाषा है। इसे आगे बढ़ाने के लिए बिहार विधानसभा के बाहर और अंदर मैं अपनी आवाज उठाता रहा हूं। संस्कृत हिंदुस्तान की रूह की जुबान है। यह सभ्यता और संस्कृति की भाषा रही है। यह अलग बात है कि समय गुजरने के बाद, आम लोगों की भाषा नहीं बन सकी।”  उन्होंने कहा, “संस्कृत मुझे शुरुआत से ही अच्छी लगती है। सभी भाषाएं सही हैं। किसी भाषा से भेदभाव नहीं हो, किसी पर भाषा भी नहीं थोपी जाए, यह भी सरकार की पॉलिसी होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “आज बिहार सरकार भाषा को लेकर क्या कर रही है। विद्यालयों में मातृभाषा के शिक्षक तक नहीं हैं।”

गौरतलब है कि नवगठित बिहार विधानसभा के पहले सत्र के पहले दिन सोमवार को नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ग्रहण की। इस दौरान जमकर राजनीति भी देखने को मिली। इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम,  AIMIM) के विधायक अख्तरुल ईमान ने  देश के नाम हिंदुस्तान पर आपत्ति जताई।

शकील अहमद खान ने (एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान को भी नसीहत देते हुए कहा कि वे पहले भी विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। पहली बार जब उन्होंने विधानसभा में शपथ ली थी, तब क्या उन्होंने हिंदुस्तान शब्द पर ऐतराज जताया था, उन्हें याद करना चाहिए।

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