नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने इस साल की सीबीएसई (CBSE )12वीं की परीक्षा भी रद्द कर दी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) के चेयरमैन और शिक्षा मंत्रालय के सचिवों के अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, राजनाथ सिंह और प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल हुए। यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। इसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी विद्यर्थियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में है। गौरतलब है कि सीबीएसई की 10वीं की बोर्ड परीक्षा पहले ही रद्द की जा चुकी है।
सू्त्रों के मुताबिक इस बैठक में प्रधानमंत्री के सामने परीक्षा कराने के सभी विकल्प रखे गए। ये विकल्प राज्य सरकारों और सीबीएसई के साथ लंबी चर्चा के बाद तैयार किए गए थे। इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा है कि पिछली परफॉर्मेंस के आधार पर विद्यार्थियों का आकलन किया जाए।
इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक आज ही बोर्ड परीक्षाओं को लेकर कोई फैसला लेने वाले थे मगर अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराना पड़ा। शिक्षा मंत्रालय को परीक्षाओं के बारे में अपने फैसले की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को 3 जून तक देनी है। केंद्र सरकार ने 31 मई को सुप्रीम कोर्ट से परीक्षाओं पर निर्णय लेने के लिए 2 दिन का समय मांगा था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की।
सीबीएसई ने 14 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि को देखते हुए कक्षा 10 की परीक्षा रद्द करने और कक्षा 12 की परीक्षा स्थगित करने की घोषणा की थी। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस मुद्दे पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा किए गए प्रस्तावों पर विस्तृत सुझाव मांगे थे।
उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीबीएसई की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, “मैं केंद्र सरकार से कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा रद्द करने और पिछले प्रदर्शन के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन करने की अपील करता हूं।”
देशभर में 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेजे थे। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने परीक्षा से पहले कोरोना टीका लगाने का सुझाव दिया था। महाराष्ट्र ने ऑनलाइन परीक्षा की बात कही थी। उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते थे कि सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा हो और परीक्षा का समय भी कम कर दिया जाए। परीक्षा बच्चों के अपने स्कूल में ही हो।
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