नई दिल्ली । अब देश में वीआईपी कल्चर को पूरी तरह खत्म करने का प्रावधान किया गया है। आगामी 1 मई से देश में आपातकालीन सेवा को छोड़कर कोई भी लालबत्ती लगे वाहनों का प्रयोग नहीं कर सकेगा। कैबिनेट की सिफारिश के मुताबिक, लालबत्ती पर लगाई जाने वाली यह रोक राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सभी केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य सरकार के मंत्रियों, नौकरशाहों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों पर लागू होगा। आपातकालीन सेवा को इस दायरे से बाहर रखा गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। एक मई से सरकारी वाहनों पर लाल बत्ती नहीं लगाई जा सकेगी। इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किया जाएगा। आगामी एक मई से अधिकारियों के वाहनों पर लालबत्ती नहीं होगी। साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों सहित किसी भी VVIP के वाहन पर एक मई से लालबत्ती नहीं होगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने वीआईपी वाहनों से लाल बत्ती हटाने का फैसला किया है। एंबुलेंस और अग्निशमन जैसे आपात परिस्थितियों में काम आने वाले वाहनों में ही लाल बत्ती का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी।
सरकार ने कहा है कि वीआईपी संस्कृति का प्रतीक बन चुकी लाल बत्ती का लोकतांत्रिक देश में कोई स्थान नहीं है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा, एक मई के बाद कोई भी अपने वाहन के ऊपर लाल बत्ती नहीं लगा सकेगा। देश में आपात परिस्थितियों में इस्तेमाल होने वाले वाहनों में नीली बत्तियां लगाई जा सकेंगी। केंद्र और राज्य सरकारों को इस तरह की विशेष अनुमति (लाल बत्ती लगाने की) देने का कोई अधिकार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वाहन के ऊपर लाल बत्ती लगाने का मुद्दा काफी समय से चर्चा में रहा है। कुछ लोगों को सड़क पर विशेष अधिकार क्यों होने चाहिए इस पर बहस होती रही है। जेटली ने कहा यह मुद्दा पिछले कुछ समय से चर्चा में रहा है और प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लिया और मंत्रिमंडल को सूचित कर दिया।
मालूम हो कि मोदी कैबिनेट की इस सिफारिश से पहले दो राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब के मुख्यमंत्रियों योगी आदित्यनाथ और कैप्टन अमरिंदर सिंह एक सप्ताह पहले ही सूबे में किसी भी सरकारी वाहनों पर लालबत्ती नहीं लगाने का आदेश जारी कर चुके हैं।