नई दिल्ली। (Central Vista Project) सेंट्रल विस्टा परियोजना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंगलवार को बड़ी राहत दी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी है। अदालत ने कहा कि सरकार नए संसद भवन समेत अन्य निर्माण कर सकती है। पर्यावरण मंजूरी और अन्य अनुमतियों में कोई खामी नहीं है। अदालत ने 2:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निर्माण और तोड़फोड़ पर रोक लगाते हुए सिर्फ नए संसद भवन के शिलान्यास की अनुमति दी थी। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार कोरोना काल में सेंट्रल विस्टा के नाम पर भारी-भरकम खर्च कर रही है, जिसकी फिलहाल जरूरत नहीं है।
सेंट्रल विस्टा परियोजना की अनुमानित लागत 20,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से करीब एक हजार करोड़ रुपये नए संसद भवन के निर्माण पर खर्च होंगे। परियोजना के वर्ष 2024 में पूरा होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद भवन परिसर का शिलान्यास किया था।
इस परियिजना के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों का पुनर्निमाण या पुनर्उद्धार किया जाना है। परियोजना के तहत नया त्रिकोणीय संसद भवन और कॉमन केंद्रीय सचिवालय बनेगा तथा तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को पुनर्विकसित किया जाएगा। नए आवासीय परिसर का भी प्रस्ताव है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे ताकि सभी मंत्रालय और विभाग समायोजित किया जा सके।
नए संसद भवन में 888 लोकसभा सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि संयुक्त सत्र में इसे 1224 सदस्यों तक बढ़ाने का विकल्प भी रखा जाएगा। राज्यसभा के सदन में कुल 384 सदस्य बैठ सकेंगे और भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें भी जगह बढ़ाने का विकल्प रखा जाएगा। वर्तमान में लोकसभा सदन में कुल 543 सदस्य बैठ सकते हैं, जबकि राज्यसभा में कुल 245 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।