सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले के ( आरसी 64 ए/96) के अन्य 15 आरोपियों को भी सजा सुनाई। बता दें कि सभी को 23 दिसंबर को दोषी करार दिया गया था। पांच जनवरी को शाम चार बजे के बाद सभी दोषियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जेल से पेश किया गया। ई-कोर्ट से अदालत ने सजा सुनाई।
सभी दोषियों को भादवि की धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471, 477 ए और पीसी एक्ट के सेक्शन 13 (2) 13(1) (सी) 9डी) के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई गई। इन्हें साजिश रचने, धोखाधड़ी करने, फरजी आवंटन तैयार करने, फरजी बिल तैयार करने, सरकारी दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करने और भ्रष्टाचार करने का दोषी मानते हुए अदालत ने सजा सुनाई। जिन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है उनमें आपूर्तिकर्ताओं को छोड़कर बाकी सभी को दस लाख और सात साल की सजा वालों पर बीस लाख का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने वाले साढ़े तीन साल के दोषियों को छह माह और सात साल वालों को अतिरिक्त एक साल जेल में रहना होगा।
अदालत ने इस मामले के दो दोषियों पूर्व सांसद जगदीश शर्मा और आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को सात साल कैद और दस लाख का जुर्माना लगाया। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर इन्हें एक साल अतिरिक्त जेल में रहना होगा।
राजनीतिज्ञ
पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव – साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
पूर्व सांसद जगदीश शर्मा- सात साल, 20 लाख जुर्माना
पूर्व मंत्री डॉ आरके राणा- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
आईएएस अधिकारी
बेक जुलियस- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
महेश प्रसाद -साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
आयुक्त फूलचंद सिंह- साढ़े तीन साल, दस लाख जुर्माना
सरकारी अधिकारी
डॉ कृष्ण कुमार प्रसाद- सात साल, 20 लाख जुर्माना
सुबीर भट्टाचार्य- साढ़े तीन लाख, दस लाख जुर्माना
आपूर्तिकर्ता
त्रिपुरारी मोहन प्रसाद- सात साल, 10 लाख जुर्माना
संजय कुमार-सात साल, 10 लाख जुर्माना
संजय अग्रवाल-सात साल, 10 लाख जुर्माना
सुशील कुमार सिन्हा- सात साल, 10 लाख जुर्माना
सुनील गांधी- सात साल, 10 लाख जुर्माना
गोपीनाथ दास- सात साल, 10 लाख जुर्माना
ज्योति कुमार झा- सात साल, 10 लाख जुर्माना
राजाराम जोशी- साढ़े तीन लाख, पांच लाख जुर्माना
इस मामले में फैसला सुनाते हुए 23 दिसम्बर को अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र समेत छह लोगों को बरी कर दिया था। बरी होने वाले अन्य लोगों में पूर्व पशुपालन मंत्री विद्या सागर निषाद, लोक लेखा समिति के पूर्व अध्यक्ष ध्रुव भगत, पूर्व आयकर आयुक्त अधीप चंद्र चौधरी, आपूर्तिकर्ता सरस्वती चंद्रा और साधना सिंह शामिल हैं। सीबीआई ने सभी को आरोपित बनाया था।
यह मामला देवघर कोषागार से 89.4 लाख रुपए की अवैध निकासी का है। सीबीआई ने सभी आरोपितों पर फरजी बिल और फरजी आवंटन तैयार कर कोषागार से अवैध निकासी करने के आरोप में 1996 में प्राथमिकी दर्ज की थी।
लालू प्रसाद के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। सीबीआई अदालत के आदेश की कॉपी मिलने के बाद हाईकोर्ट में सजा पर रोक लगाने और लालू को जमानत देने के लिए आवेदन दिया जाएगा।
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