नई दिल्ली। नए सेना प्रमुख की नियुक्ति में तय प्रक्रियाओं का ‘पूरी तरह पालन’ करने की बात कहते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को कहा कि अगर वरीयता ही एकमात्र मानदंड होता तो जन्म तारीख के आधार पर कम्प्यूटर ही सेना प्रमुख चुन लेता। उन्होंने कहा कि अगर वरीयता ही एकमात्र मानदंड होता तो किसी तय प्रक्रिया या नियुक्ति पर कैबिनेट समिति की जरूरत नहीं पड़ती।
वह एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि जब सेना प्रमुखों की नियुक्ति की बात आती है तो क्या सरकार वरीयता के सिद्धांत का पालन नहीं करती।
पर्रिकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सर्वप्रथम मुझे नहीं पता कि वरीयता का सिद्धांत है। एक प्रक्रिया है जहां सभी कमांडरों की उनके प्रदर्शन के आधार पर पुष्टि होती है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि जिन लोगों पर विचार किया गया वे अच्छे थे। काफी अच्छे थे और संभवत: यही कारण है कि हम जल्द निर्णय नहीं कर पाए।’
सरकार ने पिछले महीने जनरल बिपिन रावत को नया सेना प्रमुख नियुक्त किया जिसमें दो अन्य अधिकारियों — लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पी. एम. हारिज की वरीयता को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा, ‘वे सभी अच्छे हैं, सक्षम हैं। परिस्थितियां संभवत: इस चयन के लिए जरूरी होती हैं। अगर आप वरीयता के सिद्धांत पर चलेंगे तो किसी अन्य प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ेगी।’
उन्होंने कहा, ‘किसी रक्षा मंत्री की जरूरत नहीं होगी, नियुक्ति पर कैबिनेट समिति की जरूरत नहीं होगी क्योंकि यह कम्प्यूटर का काम है। जन्मतिथि से निर्धारित होता है कि कौन जनरल बनेगा।’ पर्रिकर ने कहा, ‘मैं आपसे कह सकता हूं कि तय प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन किया गया। आप प्रक्रियाओं को पढ़ सकते हैं। कोई प्रक्रियागत उल्लंघन नहीं हुआ है।’
भाषा
More Stories
Sita Navami : श्रीरामप्रिया माता सीता जी के प्रकटोत्सव का महत्व
Loksabha Elections 2024:प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी से दाखिल किया नामांकन,शाह-राजनाथ,योगी रहे मौजूद
छह माह के लिए खुले #KedarnathDham और यमुनोत्री धाम के कपाट, चारधाम यात्रा प्रारंभ