पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव को मानते हुए केंद्र सरकार अपने फिजूल खर्चे पर रोक लगाकर ढाई लाख करोड़ रुपये बचा सकती है।
नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं करने के फैसले को लेकर कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है। सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए उसने कहा कि सैनिकों और कर्मचारियों के भत्ते काटने के बजाए सेंट्रल विस्टा, बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और फिजूल खर्च पर रोक लगानी चाहिए।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने शुक्रवार को वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव को मानते हुए केंद्र सरकार अपने फिजूल खर्चे पर रोक लगाकर ढाई लाख करोड़ रुपये बचा सकती है जिसका इस्तेमाल संकट के इस समय में लोगों की मदद के लिए हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वायरस महामारी के संकट से पैदा हुई आर्थिक मंदी और आय की तंगी पर मरहम लगाने के बजाए मोदी सरकार जले पर नमक छिड़कने में लगी है।
सुरजेवाला ने सवाल किया कि उसने हाल ही में संसद ने 30,42,000 करोड़ रुपये का बजट पारित किया है। बजट में आय व खर्चे का लेखा-जोखा स्पष्ट तौर से दिया जाता है। फिर बजट पेश करने के 30 दिन के अंदर ही मोदी सरकार सेना के जवानों, सरकारी कर्मचारियों तथा पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते पर कैंची चलाकर क्या साबित कर रही है? उन्होंने दावा किया कि महंगाई भत्ते में अन्यायपूर्ण कटौती से लगभग 1.13 लाख सैनिकों, कर्मचारियों और पेंशनरों की तनख्वाह से सालाना 37,530 करोड़ रुपये की कटौती होगी।
सुरजेवाला ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मोदी सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की कटौती कर जख्म देने की इस कवायद ने देश की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के हमारे सैनिकों तक को नहीं बख्शा। इस कटौती के जरिए सेनाओं के 15 लाख सैनिकों और लगभग 26 लाख सैन्य पेंशनभोगियों के 11,000 करोड़ रुपये काट लि. जाएंगे।
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कि कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सरकार ने आज तक 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली सेंट्रल विस्टा परियोजना खारिज नहीं की। ना ही उसने 1,10,000 करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना बंद की। उसने फिजूल के सरकारी खर्चों में कटौती की घोषणा भी नहीं की जिससे 2,50,000 करोड़ रुपये सालाना बच सकते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इन परियोजनाओं पर रोक लगाए और फिजूल खर्चे बंद करे।
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद और मध्य दिल्ली की कई सरकारी परिसंपत्तियों के पुन:निर्माण का प्रस्ताव है। इनमें संसद के नए भवन और मंत्रालयों के लिए एकीकृत व्यवस्था करना शामिल है।
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