नई दिल्ली। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना मामले में सजा मिलने का डर नहीं है। महात्मा गांधी के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “न मुझे दया चाहिए न मैं इसकी मांग कर रहा हूं। मैं कोई उदारता भी नहीं चाह रहा। कोर्ट जो भी सज़ा देगा मैं उसे सहस्र लेने को तैयार हूं।” उन्होंने अपने वकील दुष्यंत दवे के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि सजा सुनाने को लेकर होने वाली सुनवाई को पुनर्विचार याचिका पर फैसला आने तक टाल दिया जाए। दवे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अभी इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करना बाकी है।

इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा, “हम आपको विश्वास दिला सकते हैं कि जब तक आपकी पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं होता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।” प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा पर दलीलें अन्य पीठ को सुननी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सजा तय करने पर अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की भूषण की मांग अस्वीकार कर दी।

दरअसल, प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा,आसमान नहीं टूट जाएगा अगर कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई का इंतजार कर लेगा। पुनर्विचार याचिका कोई और बेंच भी सुन सकती है, कोई जरूरी नहीं है कि यही बेंच (जस्टिस मिश्रा की) सुनवाई करे।” इस पर न्यायमूर्चि गवई ने कहा, “राजीव धवन ने तो 17 अगस्त को कहा था कि पुनर्विचार याचिका तैयार है तो आपने दायर क्यों नहीं की?” इस पर दवे ने कहा, पुनर्विचार याचिका मेरा अधिकार है। ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि मैं 24 घंटे के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करूं। पुनर्विचार याचिका दायर करने की अवधि 30 दिन है।” इस पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा,  “सुनवाई नहीं टाली जाएगी।”

अपना पक्ष रखते हुए प्रशांत भूषण ने कहा,“मेरे ट्वीट जिनके आधार पर अदालत की अवमानना का मामला माना गया है दरअसल वह मेरी ड्यूटी हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। इसे संस्थानों को बेहतर बनाए जाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए था। मैंने जो लिखा है वो मेरी निजी राय है, मेरा विश्वास और विचार है। ये राय और विचार रखना मेरा अधिकार है।”

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने प्रशांत भूषण के बचाव में दलील देते हुए भूषण के अब तक के महत्वपूर्ण मामलों- 2G, कॉल ब्लॉक घोटाला, गोवा माइनिंग, सीवीसी नियुक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी मामलों में कोर्ट के सामने प्रशांत भूषण ही आए थे। सजा देते समय कोर्ट को प्रशांत भूषण के योगदान को देखना चाहिए।

इस पर न्यायमूर्तिअरुण मिश्रा ने कहा, “अच्छे काम करने का स्वागत है। हम आपके अच्छे मामलों को दाखिल करने के प्रयासों की सराहना करते हैं। हम ‘फेयर क्रिटिसिज्म’ के खिलाफ नहीं है। संतुलन और संयम बहुत जरूरी है। आप सिस्टम का हिस्सा हैं। बहुत कुछ करने के उत्साह में आपको लक्ष्मण रेखा को पार नहीं चाहिए। यदि आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्था को नष्ट कर देंगे। हम अवमानना के लिए इतनी आसानी से दंड नहीं देते। मैंने अपने पूरे करियर में एक भी व्यक्ति को कोर्ट की अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है। हर बात के लिए लक्ष्मण रेखा है, आपको लक्ष्मण रेखा नहीं पार करनी चाहिए।”

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