नई दिल्ली। भारत में कोरोना संक्रमण के चलते हालात बदतर होते जा रहे हैं। अब एक अत्यंत चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। मौत के डराने वाले आंकड़ों के बीच लांसेंट जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन में कहा गया है कि जून में हर दिन देश में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा ढाई हजार के पार हो सकता है। इस शोध से जुड़े एक वैज्ञानिक भारत सरकार की कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य हैं। 

“भारत की दूसरी कोरोना लहर के प्रबंधन के लिए जरूरी कदम” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जल्द ही देश में हर दिन औसतन 1750 मरीजों की मौत हो सकती है। रोजाना मौतों की यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ते हुए जून के पहले सप्ताह में 2320 तक पहुंच सकती है।   


रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार कोरोना से देश के टीयर-2 और टीयर-3 श्रेणी वाले शहर सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। यानी 10 लाख तक की आबादी वाले शहरों में इस बार हाल ज्यादा खराब हैं। साथ ही कहा गया है कि भौगोलिक स्थिति के हिसाब से देखें तो पहली लहर और दूसरी लहर में संक्रमणग्रस्त क्षेत्र लगभग वही हैं। 

इस बार कुछ जिलों में ज्यादा कहर

पहली लहर के दौरान 50 प्रतिशत मामले 40 जिलों से आते थे जो अब घटकर 20 जिले रह गया है। यानी कुछ जिलों में संक्रमण ज्यादा कहर बरपा रहा है। पिछले साल जब पहली लहर चरम पर थी तब 75 प्रतिशथ मामले 60 से 100 जिलों से दर्ज हो रहे थे जबकि इस बार इतने ही प्रतिशथ केसों में मात्र 20 से 40 जिलों का योगदान है। 

पहली और दूसरी लहर में अंतर

पहली लहर के दौरान 10 हजार प्रतिदिन नए केसों से 80 हजार प्रतिदिन नए केस होने में 83 दिन का वक्त लगा था जबकि इस बार फरवरी से अप्रैल की शुरूआत तक प्रतिदिन मामले 80 हजार होने में मात्र 40 दिन लगे। 

शोध के मुताबिक, इस बार कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीज ज्यादा तादाद में मिल रहे हैं जिससे तुलनात्मक रूप से कम मौतें हो रही हैं। जबकि पहली लहर में लक्षण वाले मरीजों की तादाद बहुत अधिक थी जिससे ज्यादा मौतें हो रही थीं।

मृत्यु दर बढ़ेगी

भारत में संक्रमण शुरू होने के बाद केस फैटालिटी रेट 1.3 प्रतिशत बना हुआ है। इस साल जनवरी के बाद से संक्रमित होने वाले मरीजों की केस मृत्यु दर 0.87 प्रतिशत बनी हुई है जो तुलनात्मक रूप से कम है पर जैसे जैसे संक्रमण बढ़ेगा, इसमें वृद्धि होगी। 10 अप्रैल तक भारत का साप्ताहिक औसत मृत्यु आंकड़ा 664 है।

लॉकडाउन न करें, स्थानीय स्तर पर पाबंदी लगाएं

इस अधय़यन रिपोर्ट में कहा गया है कि तालाबंदी यानी लॉतडाउन से गरीबों को नुकसान होगा, स्थानीय सरकारें सबसे पहले संक्रमित लोगों को आइसोलेट करने और  चरणबद्ध पाबंदियां लगाने जैसे कदम उठाएं।

घरेलू स्तर पर 10 से अधिक लोगों के एक साथ घूमने या बाहर जाने को लेकर पाबंदी लगाने से लाभ होगा। 

भारत को लेकर ये भविष्यवाणियां सच हुईं

लैंसेट ने पिछले साल मार्च में कहा था कि भारत में युवा आबादी ज्यादा होने के कारण दूसरे देशों के मुकाबले कम मौतें होंगी, जो सच साबित हुआ। 

कोविड-19 इंडिया नेशनल सुपरमॉडल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फरवरी 2021 के अंत तक भारत में दूसरी लहर की शुरूआत हो जाएगी। यह रिपोर्ट देश के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की एक समिति ने बनाई थी जिसमें कई  गणितिज्ञ, संख्यिकी विशेषज्ञ और विज्ञान विशेषज्ञों शामिल थे। 

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