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देसी वैक्‍सीन Covaxin लगवाने वाले हरियाणा के मंत्री अनिल विज को कोरोना, जानें क्‍यों यह बुरी खबर नहीं

चंडीगढ़। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज कोविड-19 संक्रमित पाए गए हैं। उन्‍होंने शनिवार सुबह एक ट्वीट में अपने पॉजिटिव होने की जानकारी दी। जैसा कि कोविड प्रोटोकॉल है, उन्‍होंने अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों से टेस्‍ट कराने की अपील की है। विज की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि वह भारत बायोटेक की कोविड वैक्‍सीन Covaxin के फेज 3 ट्रायल का हिस्‍सा हैं। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद लोग इस वैक्‍सीन के असर को लेकर शक जाहिर कर रहे हैं। विज के संक्रमित हो जाने पर दवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे ट्रायल के दौरान होने वाली सामान्य प्रक्रिया करार दे रहे हैं। भारत बायोटेक ने कहा कि वैक्सीन के तीसरे चरण के डबल-ब्लाइंड और रैंडमाइज्ड होते हैं, जहाँ 50% विषय (ट्रायल में भाग लेने वाले) टीका प्राप्त करते हैं और 50% लोग प्लेसीबो प्राप्त करते हैं।

विज फिलहाल अंबाला कैंट के सिविल अस्‍पताल में भर्ती हैं। उन्होंने जैसे ही ट्विटर पर अपने कोविड पॉजिटिव होने की जानकारी दी, नीचे कमेंट्स में एक सवाल सबसे ज्‍यादा पूछा जाने लगा। आखिर Covaxin लेने के बाद मंत्री को कोरोना कैसे हो गया? बहुत सारे यूजर्स ने यही सवाल पूछते हुए वैक्‍सीन के असर पर सवाल खड़े किए हैं। ये सवाल पूरी तरह निराधार तो नहीं, लेकिन जल्‍दबाजी में जरूर किए जा रहे हैं।

अनिल विज को कोरोना कैसे हुआ?

अनिल विज को अंबाला के एक अस्‍पताल में 20 नवंबर को Covaxin की पहली डोज दी गई थी। Covaxin के फेज 3 ट्रायल प्रोटोकॉल के अनुसार, 0.5mg की दो डोज दी जानी है। पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28वें दिन लगती है। यानी विज को वैक्‍सीन की दूसरी डोज अभी तक नहीं दी गई है। जब तक वैक्‍सीन की दोनों डोज नहीं लगतीं, कोविड से इम्‍युनिटी मुश्किल है। Covaxin का ट्रायल रैंडमाइज्‍ड, डबल ब्‍लाइंड था। ऐसा भी हो सकता है कि विज को वैक्‍सीन के बजाय प्‍लेसीबो मिला हो। विज के संक्रमित होने की यही वजह नजर आती है, हालांकि एक्‍सपर्ट्स अभी उनकी जांच कर कारण को पिनपॉइंट करेंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विज के कोरोना संक्रमित होने की खबर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि अनिल विज को अभी वैक्सीन की एक ही डोज लगी है, जबकि कोरोना से बचाने वाले एंटीबॉडी को बनने के लिए दो डोज लगनी जरूरी हैं। दोनों डोज लगने के कुछ दिन बाद ही एंटीबॉडी बनती हैं। दूसरी डोज पहली डोज के 28 दिन बाद ही दी जाती है। 

…तो क्‍या Covaxin असरदार नहीं?

यह कहना बेहद जल्‍दबाजी होगी। किसी भी वैक्‍सीन का डोज प्रोटोकॉल पूरा होने के बाद ही, उसके असर के निष्‍कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। फिलहाल Covaxin देशभर में करीब 26 हजार वॉलंटियर्स पर फेज 3 ट्रायल से गुजर रही है। दोनों डोज देने के बाद वैक्‍सीन के असर और सेफ्टी का डेटा कलेक्ट किया जाएगा। फाइजर, मॉडर्ना, ऑक्‍सफर्ड समेत अभी तक जिन भी वैक्‍सीन के इम्‍युनोजेनिसिटी डेटा आए हैं, वे सभी डबल डोज वाली हैं। ऐसे में केवल एक इवेंट वह भी सिंगल डोज वाले के आधार पर वैक्‍सीन को खारिज नहीं किया जा सकता। ट्रायल पूरा होने के बाद जब डेटा आएगा तभी वैक्‍सीन के असर पर स्‍पष्‍ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा।

क्‍यों नहीं है इस घटना से डरने की जरूरत?

कोविड वैक्‍सीन के ट्रायल में शामिल किसी को भी संक्रमण हो सकता है। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। यह बेहद सामान्‍य प्रक्रिया है। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन को ऐसी वैक्‍सीन को मंजूरी दे रहा है जो 50% भी असरदार हैं। यानी अगर कोई वैक्‍सीन लगने के बाद आधे से ज्‍यादा लोगों में भी इम्‍युनिटी डिवेलप होती है तो वह वैक्‍सीन सफल है। आसानी से समझिए कि ट्रायल में अगर 100 लोग शामिल हैं तो उनमें से कुछ को कोरोना होगा ही। कोई भी वैक्‍सीन 100% असरदार नहीं रही है। मॉडर्ना, फाइजर की वैक्‍सीन भी 95% तक प्रभावी रही हैं, यानी ट्रायल में शामिल 5% लोगों को संक्रमण का खतरा बरकरार रहा या उन्‍हें संक्रमण हो ही गया। इसलिए विज के कोविड पॉजिटिव होने की खबर वैक्‍सीन ट्रायल के लिहाज से बुरी नहीं है। हां, यह हमारा ध्‍यान सावधानी से ट्रायल प्रोटोकॉल के पालन की जरूरत की ओर दिलाती है।

gajendra tripathi

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