इससे पहले स्मृति की शैक्षिक योग्यता से जुड़े रिकॉर्ड चुनाव आयोग ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को दिए थे। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब यह कहा गया था कि अगर एफिडेविट में दी गई जानकारियां गलत हुईं तो धारा 125A के तहत कोर्ट झूठा हलफनामा देने पर जुर्माना, 6 महीने की सजा या दोनों कर सकता है।
कोर्ट ने आज कहा, ‘पहली बात तो ये है कि असली दस्तावेज समय के साथ खो गए हैं और उपलब्ध दस्तावेज मंत्री को समन भेजने के लिए काफी नहीं हैं।’ कोर्ट ने इसमें शिकायतकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले की शिकायत करने में 11 साल लग गए। जाहिर है कि मंत्री को परेशान करने की मंशा से यह शिकायत की गई।
स्मृति ईरानी पर ये आरोप लगाकर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि अब तक के तीन चुनावी हलफनामों में उन्होंने अपनी शिक्षा को लेकर अलग-अलग जानकारियां दी है। उनके खिलाफ कोर्ट में यह शिकायत स्वतंत्र अहमर खान ने दायर की थी। पिछले दो चुनाव में चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे आपस में मेल नहीं खा रहे हैं। इनमें से एक शपथ पत्र में स्मृति ने खुद को बीकॉम बताया है तो दूसरे में बीए।
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