नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार डरा रही है। तमाम एहतियात के बावजूद पिछले करीब एक सप्ताह से रोजाना 3 लाख से अधिक नए पॉजिटिव मामले दर्ज किए जा रहे हैं। बीते 24 घंटों में देश में पहली बार 3 हजार से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। हालात को देखते हुए सरकार ने पहली बार लोगों को घर के अंदर भी मास्क पहनने की सलाह दी है।
देश की कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “समय आ गया है कि हम घर में भी मास्क पहनें, किसी को अपने घर न बुलाएं और न ही किसी जरूरत के बिना घर से बाहर जाएं।“
यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के बेतहासा फैलने की बात को माना है। हालांकि अभी भी इसे सामुदायिक फैलाव (Community spread) नहीं माना है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण से जुड़े कई सवालों के जवाब भी दिए गए हैं।
प्रश्न. घर में मास्क पहनने की सलाह क्यों दी गई है?
-कोरोना इतनी तेजी से फैल रहा है कि घर के किसी सदस्य को कब संक्रमण हो जाए, पता नहीं चल रहा है। कोरोना के लक्षण आने और जांच में पुष्टि होने तक घर के बाकी सदस्य भी संक्रमित हो जा रहे हैं।
दूसरी बड़ी वजह है कि बड़ी तादाद में ऐसे लोग भी हैं जिनमें संक्रमित होने के बावजूद लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसे लोग घर के बाकी सदस्यों में भी संक्रमण फैला रहे हैं। पता तब चलता है जब घर के बाकी सदस्यों में किसी तरह के लक्षण नजर आते हैं और उनकी जांच होती है।
यही वजह है कोरोना की दूसरी लहर में पूरे-पूरे परिवार संक्रमित हो रहे हैं जबकि उनमें से ज्यादातर घर के अंदर ही रह रहे हैं।
प्रश्न. यह सलाह कोरोना की दूसरी लहर में ही क्यों दी गई?
-कोरोना संक्रमित बड़ी तादाद में सांस की तकलीफ समेत दूसरे लक्षणों से गंभीर रूप से बीमार हैं। लाखों लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। ऑक्सीजन बेड की जरूरत ने पूरे ढांचे को हिलाकर रख दिया है।
ऐसे में मास्क का मकसद सिर्फ उसे पहनने वाले को कोरोना से बचाना नहीं बल्कि दूसरों को भी बचाकर रखना है। इसलिए यह सलाह सिर्फ कोरोना फैलने की चेन तोड़ने के लिए नहीं है बल्कि ऐसे लोगों के लिए भी है जो बेहद जोखिम में हैं। जैसे बीमार, बुजुर्ग और बच्चे। इस सलाह के दो खास मकसद हैं।
1- बिना लक्षणों वाले कोरोना संक्रमितों से घर के बुजुर्गों और बीमारों को बचाय रखना।
2- दूसरी लहर के दौरान पूरे-पूरे परिवार संक्रमित हो रहे हैं। घर पर मास्क पहनने से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
प्रश्न. क्या सरकार ने यह सलाह देने से पहले किसी स्टडी या ऑब्जर्वेशन का सहारा लिया है?
-हां, इस सलाह में दम है। मास्क की उपयोगिता को लेकर कई अध्ययन सामने आ चुके हैं। सरकार ने यह सलाह देते हुए इनका भी सहारा लिया है। उत्तरी कैरोलिना के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस का कहना है कि अगर दो लोगों के बीच 6 फीट की दूरी हो और दोनों मास्क पहने हों तो कोरोना फैलने का जोखिम लगभग शून्य होता है।
प्रश्न. क्या किसी और देश ने भी घर पर मास्क पहनने की सलाह दी है?
-पूरी तरह ऐसी सलाह तो नहीं दी गई है मगर अमेरिकन सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने इससे काफी मिलती-जुलती सलाह जारी की है। उसका कहना है कि आपके घर में अगर ऐसा कोई शख्स है जो आपके साथ नहीं रहता तो घर में भी 6 फीट दूरी के साथ मास्क पहनना चाहिए। बुजुर्गों को खासतौर तब मास्क जरूर पहनना चाहिए, जब घर में ऐसा कोई शख्स हो जो आमतौर पर घर पर न रहता हो।
मतलब साफ है कि जब कोई बाहरी शख्स घर में आए तो बुजुर्ग, बीमार और बच्चों को घर पर भी मास्क जरूर पहनना चाहिए।
प्रश्न. क्या अलग-अलग तरह के मास्क का असर भी अलग-अलग है?
-हां, अलग-अलग तरह के मास्क का असर अलग-अलग होता है। इस मुद्दे पर दुनिया में कई तरह की स्टडी हो चुकी हैं। इनमें बिना वाल्व वाला N95 मास्क ही सबसे कारगर साबित हुआ है।
प्रश्न. क्या किसी अध्ययन में घर में मास्क पहनने के फायदे सामने आए हैं?
-हां, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करने के लिए चीन की राजधानी बीजिंग में हुए एक फैमिली सर्वे को चुना गया था। इस सर्वे में घरों के भीतर मास्क पहनने को कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने में 79% असरदार माना गया है। यह सर्वे 124 परिवारों के 335 सदस्यों पर किया गया। सर्वे के मुताबिक, घरों के भीतर कोरोना फैलने का जोखिम बाहर के मुकाबले 18 गुना ज्यादा है क्योंकि घर के भीतर जो भी पहला संक्रमित होता है, उससे बाकी सभी सदस्य काफी करीब रहते हैं।
ऐसे मामलों में अगर संक्रमित होने वाला पहला शख्स लक्षण दिखने से पहले ही मास्क पहनता है तो बाकी सदस्यों में संक्रमण रोकने में यह 79% तक प्रभावी है।
प्रश्न. सरकार ने और क्या-क्या सलाह दी है?
-सरकार ने होम आइसोलेशन के दौरान जो दवाइयां ली जा सकती हैं, उनके बारे में बताया है। घर में रहकर आयुर मेक्टिन और हाइड्रोक्लोरोक्विन को लिया जा सकता है। साथ ही 5 दिन से ज्यादा खांसी रहती है तो ब्यूडेनेसाइड भी लिया जा सकता है। ये नाक से दी जाने वाली दवा है। इन्हें पेरासिटामोल के साथ लिया जा सकता है।
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